कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में खौफ का माहौल है। इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है जिसमे बताया जा रहा है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों का खून अवैध तरीक से 10 लाख रूपए प्रति लीटर बिक रहा है।
इंटरनेट पर अवैध तरीके से कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून की बिक्री की जा रही है। कोरोना के इलाज और वैक्सीन के नाम पर मरीजों के खून को डार्कनेट पर बेचा जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक जिंदगी भर के लिए कोरोना से इम्यून बनाने के दावे के साथ कोरोना मरीजों के ब्लड को लाखों रुपये में बेचा जा रहा है। एक लीटर ब्लड का दाम 10 लाख रुपये तक रखा गया है।
हालांकि, ब्लड के साथ अवैध रूप से पीपीई, मास्क, टेस्ट किट सहित अन्य सामान भी ऊंचे दामों पर बेचे जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 12 अलग-अलग डार्कनेट मार्केट पर ये सामान बेचे जा रहे हैं। डार्कनेट पर ऐसा दावा किया जा रहा है कि दुनियाभर में कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के जरिए पीपीई और अन्य सामान हासिल किए गए हैं। बेचने वाले इन सामानों को अलग-अलग देशों में डिलीवरी कराने को भी तैयार हैं। ज्यादातर ऐसे प्रोडक्ट अमेरिका से जबकि कुछ प्रोडक्ट यूरोप, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से शिपिंग के लिए मौजूद थे।
कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा के जरिए अन्य मरीजों के इलाज से जुड़ी कुछ रिपोर्टें सामने आई हैं। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी के खतरे भी हैं और इससे लोगों की जान भी जा सकती है। फिलहाल डॉक्टर प्रयोग के तौर पर कुछ खास परिस्थिति में भी इस थेरेपी को आजमा रहे हैं।