नयी दिल्ली । देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के आरे कॉलोनी में पेड़ों की क’टाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। अब इस मामले पर 14 अक्टूबर को अलगी सुनवाई होगी। तबतक पेड़ों की क’टाई पर रोक जारी रहेगी।पहले मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आपके पास इस बात का सबूत हैं कि आरे पहले जंगल या इको सेंसेटिव जोन में आता था और अगर ऐसा था तो क्या सरकार ने इसे बदला?
कोर्ट ने कार्यकर्ताओं से कहा कि इसके लिए आप हमें प्रोपर डॉक्यूमेंट दिखाएं, मीडिया रिपोर्ट नहीं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता महाराष्ट्र सरकार की ओर से अपना पक्ष रख रहे हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण की स्पेशल बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है।
कानून की पढ़ाई करने वाले की ओर से पेड़ों को काटने के विरोध में लिखे पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर लिया था। इसके साथ ही मामले पर सुनवाई के लिए भी राजी हो गया। रविवार को ही कोर्ट ने स्पेशल बेंच का गठन भी कर दिया था। मेट्रो कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई की जा रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएमसी ने पेड़ों की कटाई शुरू की थी।
कानून की पढ़ाई कर रहे ऋषभ रंजन की ओर से पेड़ों की कटाई रोकने के लिए लिखे गए पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) के तौर पर स्वीकार कर लिया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार बहुत जल्दाबाजी में यह फैसला ले रही है। आरे में कुल 2,700 पेड़ काटे जाने की योजना है, जिनमें से 1,500 पेड़ों को गिरा दिया गया है।