उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ के मुमताज डिग्री कॉलेज में चली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक तीन घंटे बाद समाप्त हो गई। बैठक के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) ने कहा कि हम फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन (पुनर्विचार या समीक्षा याचिका) दायर करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें मालूम है रिव्यू पिटीशन का हाल क्या होना है, लेकिन फिर भी हमारा यह हक है। उन्होंने आगे कहा कि बोर्ड की बैठक में क्या फैसला हुआ यह प्रेस कॉन्फ्रेंस में पता चलेगा। अरशद मदनी ने कहा कि हम न मस्जिद को दे सकते हैं और न ही उसकी जगह कोई जमीन ले सकते हैं। मुकदमे में हमें हमारा हक नहीं दिया गया। मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी।
मसला यहीं खत्म किया जाए: इकबाल अंसारी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक पर बाबरी मस्जिद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने कहा है कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि फैसला आ गया, फैसले को हमने मान भी लिया और अब हम आगे अब नहीं जाना चाहते। हम हिंदुस्तान के मुसलमान हैं और हिंदुस्तान का संविधान भी मानते हैं।
इकबाल अंसारी ने कहा कि हिंदुस्तान का अहम फैसला था। हम अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाएंगे। हम चाहते हैं कि इस मसले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए, जितना मेरा मकसद था, उतना मैंने किया। घर अल्लाह का है और अल्लाह मालिक है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला कर दिया, उसे मान लो। अयोध्या समेत पूरे देश में शांति का माहौल बना रहे, देश तरक्की करें। हम पक्षकार थे और हम अब रिव्यू दाखिल करने आगे नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि पक्षकार ज्यादा हैं, कोई क्या कर रहा है नहीं मालूम लेकिन हम अब रिव्यू दाखिल नहीं करेंगे।
अधिकतर पक्षकारों की राय- फैसले के खिलाफ अपील
बता दें कि एक दिन पहले ही मामले से जुड़े मुस्लिम पक्षकारों ने बोर्ड को अपनी राय दी कि वह फैसले के खिलाफ अपील की मंशा रखते हैं। उन्होंने यह भी राय दी है कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद (Babari Masjid) के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिए। इन पक्षकारों ने पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी से नदवा में मुलाकात के दौरान यह ख्वाहिश जाहिर की। खास बात यह है कि मामले से जुड़े एक अहम पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस बैठक से किनारा कर लिया है। इकबाल बैठक में शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वह फैसले से खुश हैं।
इन्होंने अपील की जताई मंशा
बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने बताया कि मौलाना रहमानी ने रविवार को बोर्ड की वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्न मुस्लिम पक्षकारों को राय जानने के लिए बुलाया था। उन्होंने बताया कि मामले के मुद्दई मुहम्मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ-साथ अन्य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय समझ से परे है। लिहाजा, इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए। इसके अलावा एक अन्य पक्षकार मिसबाहुद्दीन ने भी फोन पर बात करके यही राय जाहिर की। जिलानी ने बताया कि इन पक्षकारों ने यह भी कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन नहीं लेनी चाहिए।