चौंक गये ना… दरअसल पर्दे के पीछे का खेल हमें समझ ही नहीं आता…सबको लग रहा है, कि उद्धव ने अर्नब गोस्वामी को जेल भेज कर अपमान का बदला लिया है जैसा कि दिख रहा है, तो सचमुच में लोग आज भी राजनीति को लेकर बहुत भोले हैं राजनीति में दिखाया कुछ और जाता है और होता कुछ और. और हम कितने भोले भाले हैं… जो विश्वास कर लिए कि केंद्र सरकार सुशांत को न्याय दिलाने में कितनी गंभीर है और राज्य सरकार कितनी लापरवाह … गौर कीजिए ठीक बिहार के चुनाव के पहले एक प्रथम दृष्टिया, आत्महत्या के केस को हत्या बताने की पूरी कोशिश की गई ताकि विपक्षी राज्य सरकार की बदनामी हो …और उसका चुनावी फायदा हो मगर आज कोई बात नहीं कर रहा, उस केस की.
अब भूलीये बिहार को, बीजेपी को बंगाल चुनाव के लिए एक ऐसा चेहरा चाहिए, जो मोदी जी की तरह मुखरता से झूठ को इस तरह पेश करें कि जैसे लगे शत प्रतिशत सच वही है… इसीलिए नया चैनल लगाकर विपक्षी सीएम को सरेआम ललकारने लगा पूरे देश ने देखा और मुफ्त का प्रचार हो गया सारे कट्टर अंधभक्त उसके सपोर्ट में खड़े हो गए तो भैया, जब इतना अच्छा पूर्व से संबंधित चेहरा सामने हो, जो चंद टुकड़े पर दुम हिलाता हो, तेजस्वी की तरह जवान दिखता हो लंबी-लंबी फेंकता हो, सूट – बूट वाला हो…
इससे अच्छा पर्याय हो ही नहीं सकता गौर करने वाली बात यह है कि 3 नवंबर को खबर मिलती है सौरव गांगुली ने बीजेपी को इनकार किया है और 4 तारीख की सुबह अर्नब की गिरफ्तारी शुरू हो जाती है फिर पत्रकार और मीडिया पर हमले का मुद्दा बनाकर बीजेपी की पूरी पार्टी ही देश भर में सपोर्ट में खड़ी हो जाती है फिर ज़मानत लेकर एक और नेता प्राथमिक परीक्षा मे अव्वल दर्जे से पास.
तो भाइयों और बहनों,
पेश है एक नया तड़कता – फड़कता,
गबरु जवान,
हिंदुत्व का चेहरा,
प्रताड़ित मीडिया का पत्रकार,
वोकल फॉर लोकल…अर्नभ गोस्वामी
पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…
-धर्मेश चौरसिया के फेसबुक वाल से साभार