देश में चल रहे कोरोना महासंकट के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। जीडीपी में शामिल किए गए कुल 8 सेक्टर्स में से सिर्फ एग्रीकल्चर ही एक ऐसा सेक्टर है। जहां पर बढ़त देखने को मिली है।
आपको बता दें कि 31 अगस्त को सीएसओ की तरफ से ये आंकड़े जारी किए गए हैं। इस बार जीडीपी की ग्रोथ रेट में गिरावट तमाम अनुमानों से ज्यादा रही है। दरअसल कोरोना महासंकट के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के बाद जीडीपी के आंकड़ों को पहली बार जारी किया गया है। अप्रैल से जून के बीच पूरी तरह से देश में लॉकडाउन था। जिसके चलते देश की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं।
लेकिन पहले से अर्थव्यवस्था के स्तर पर सोती मोदी सरकार पर सवाल जरूर उठ रहे हैं। यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था में आई है। कोरोना से दुनियाभर के देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। लेकिन भारत का नुकसान सबसे ज्यादा है।
अर्थव्यवस्था के अलावा कोरोना का प्रभाव भी सबसे ज्यादा भारत पर पड़ा है। बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से जून तिमाही के जीडीपी आंकड़े-
- भारत -23.9
- यूके -20.4
- फ्रांस 13.8
- इटली 12.4
- कनाडा -12
- जर्मनी -10.1
- यूएस -9.5
- जापान -7.6
- चीन -3.2
35% बढ़ी अंबानी की इनकम
यह आंकड़े जी-7 देशों के हैं। जिसमें भारत नंबर 1 पर है। अर्थव्यवस्था के भयानक टूटने से पूरे देश में हाहाकार मच गया। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरने और बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के बेतहाशा पूंजी बढ़ने को जोड़कर देखकर जाए तो वाकई सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने अंबानी के फ्यूचर ग्रुप खरीदने व दुनिया के टॉप 10 अमीरों की लिस्ट में शामिल होने पर सवाल उठाए है। कोरोना काल में भी बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की इनकम 35 प्रतिशत बढ़ गई लेकिन इंडिया की जीडीपी माइनस -23.9 में पहुंच गई जिससे ये बात लगभग साफ हो गई है कि प्रधानमंत्री मोदी पिछले 6 सालों से अंबानी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ही 18-18 घंटे काम कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने भी ट्वीट करके लपेटा
राहुल ने ट्वीट किया, ‘जीडीपी -23.9 प्रतिशत हो गई। देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी नोटबंदी से शुरू हुई थी। तब से सरकार ने एक के बाद एक ग़लत नीतियों की लाइन लगा दी।’ नीट और जेईई परीक्षाओं को लेकर राहुल ने कहा कि मोदी सरकार भारत के भविष्य को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि अहंकार की वजह से वे (केन्द्र सरकार) जेईई-नीट परीक्षार्थियों के साथ-साथ एसएससी और अन्य परीक्षा देने वालों की वास्तविक चिंताओं और मांगों की अनदेखी कर रहे हैं।