अयोध्या की बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में विशेष सीबीआई अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ ढांचा गिराने के पर्याप्त सबूत नहीं है। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि बाबरी ढांचे को अराजक तत्वों ने गिराया था और इसमें विश्व हिंदू परिषद का हाथ नहीं है।
बता दें कि बाबरी मस्जिद के गिरने के 7 दिन बाद ही केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। इस मामले की अलग-अलग जिलों में सुनवाई हुई, जिसके बाद इलाहबाद हाईकोर्ट ने 1993 में सुनवाई के लिए लखनऊ में विशेष अदालत का गठन किया था। तब सीबीआई ने अपनी संयुक्त चार्जशीट फइल की। इस चार्जशीट में ही बाल ठाकरे, नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, चम्पत राय जैसे 49 नाम जोड़े गए। 2011 में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गई।
सीबीआई ने अपनी याचिका में दोनों मामलों को संयुक्त रूप से लखनऊ में बनी विशेष अदालत में चलाने और आपराधिक साजिश का मुकदमा जोड़ने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चलती रही। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दो साल में इस केस को खत्म करने की समय सीमा भी तय कर दी। 2019 अप्रैल में वह समय सीमा खत्म हुई तो नौ महीने की डेडलाइन फिर मिली। इसके बाद कोरोना संकट को देखते हुए 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी करने का और 30 सितंबर को फैसला सुनाने का समय दिया गया था।