यह विवाह फिल्म की कहानी नहीं है । यह हकीकत है । यहाँ कोई हीरो-हिरोइन नहीं है न ही असल फिल्म की शुटिंग चल रही है लेकिन जो हुआ है वह किसी फिल्म की मानिंद ही है । कहानी है प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके की । वहॉं रहने वाली आरती मौर्य की शादी नजदीक के ही गांव के अवधेश के साथ तय हुई थी। 8 दिसंबर को बारात आनी थी। दोनों ही घरों में शहनाइयां बज रही थीं। परिवार के सदस्य और दूसरे मेहमान तैयार हो रहे थे, तभी दोपहर एक बजे के करीब एक छोटे बच्चे को बचाने के चक्कर में दूल्हन आरती का पैर फिसल गया और वो छत से नीचे गिर गई।
उसकी रीढ़ की हड्डी पूरी तरह टूट गई। कमर और पैर समेत शरीर के दूसरे हिस्सों में भी चोट आई। पड़ोस के अस्पतालों ने इलाज से हाथ खड़े कर दिए तो घर के लोग उसे प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में ले आए। हादसे के बाद शादी वाले घर में कोहराम मच गया।
अवधेश ने कहा कि वो इस हालत में भी न सिर्फ आरती को पत्नी के तौर पर अपनाएगा, बल्कि शादी भी उसी दिन तय वक्त पर ही होगी। अवधेश ने कहा भले उसे अस्पताल के बेड पर जाकर ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम के सहारे इलाज करा रही आरती की मांग भरनी पड़े, लेकिन शादी नहीं टलेगी। वो पत्नी की सेवा करते हुए उसका सहारा और साथी बनकर उसके दर्द को बांटना चाहता है।
अवधेश की जिद पर डाक्टरों की टीम से परमीशन लेकर आरती को दो घंटे बाद एम्बुलेंस से वापस घर लाया गया। उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर शादी की रस्में अदा की गईं। ऑक्सीजन और ड्रिप लगी होने की सूरत में ही उसकी मांग भरी गई। आम दुल्हनों की तरह आरती की भी विदाई हुई। ये अलग बात है कि ससुराल जाने के बजाय वो वापस अस्पताल लाई गई। अगले दिन होने वाले ऑपरेशन के फार्म पर खुद अवधेश ने पति के तौर पर दस्तखत किए।