असम में बड़ी संख्या में उग्रवादियों ने सरेंडर किया है। मुख्यम मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में असम में आठ प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने 177 हथियारों के साथ गुरुवार को आत्मसमर्पण किया। पुलिस ने बताया कि उल्फा (आई), एनडीएफबी, आरएनएलएफ, केएलओ, भाकपा (माओवादी), एनएसएलए, एडीएफ और एनएलएफबी के सदस्यों ने एक कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया।
Guwahati: 644 cadres of 8 militant groups today surrendered at the Arms Laying Down Ceremony, in presence of Assam Chief Minister Sarbananda Sonowal. pic.twitter.com/jz5Tls7ApN
— ANI (@ANI) January 23, 2020
पुलिस महानिदेशक ज्योति महंता ने पत्रकारों से कहा, ‘राज्य के लिए और असम पुलिस के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है। आठ उग्रवादी समूहों के कुल 644 कार्यकर्ताओं और नेताओं ने आत्मसमर्पण किया है।’
इसी महीने एनडीएफबी के साथ सरकार ने शांति समझौता किया था
इसी महीने के शुरुआत में एनडीएफबी ने सरकार के साथ अपना अभियान बंद करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था। समझौते के मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी साओराईगवरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे। त्रिपक्षीय समझौते में एनडीएफबी, केंद्र सरकार और असम सरकार शामिल थे। साओराईगवरा के साथ एनडीएफबी के कई सक्रिय सदस्य 11 जनवरी को म्यांमार से भारत आए थे।
असम में 35 उग्रवादी संगठन सक्रिय
आजादी के बाद से ही असम समेत पूरे पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समस्या बनी रही है। असम की आबादी में 28% बोडो हैं। ये खुद को असम का मूल निवासी मानते हैं। ये लोग अरुणाचल से सटे हिस्से को बोडोलैंड घोषित करना चाहते हैं। बाहरी लोगों के आने से इनकी आजीविका और संस्कृति पर असर पड़ा है। बोडो उग्रवादियों के संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का एक धड़ा हिंसा फैला रहा है। दरअसल, लड़ाई अपने प्रभुत्व और क्षेत्र की है। एनडीएफबी का एक धड़ा अलग राज्य चाहता है ताकि आदिवासियों और मुस्लिमों से बोडो समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके। असम में उल्फा, एनडीएफबी समेत 35 से ज्यादा उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं।