चुनाव आयोग ने एक RTI के जवाब में जानकारी दी है कि 20 रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों ने अपने वार्षिक आर्थिक चंदे की जानकारी नहीँ दी है। जिसमे लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल है। चंदे की सूचना देने की अंतिम तारीख 30 अक्टूबर 2019 थी.
एक नेवी ऑफिसर की तरफ से दायर की गई आरटीआईमें में सवाल के जवाब में चुनाव आयोग ने यह जानकारी दी है। चुनाव आयोग ने कहा है कि इन दलों ने अपने वार्षिक चंदे की जानकारी नहीं दी है।
चुनाव आयोग ने चंदे की जानकारी के लिए पारदर्शिता के नियम तय किए हैं लेकिन राजनीतिक दल इन्हें गंभीरता से नहीं लेते। राजनीति में कालेधन का इस्तेमाल हमेशा से ही चिंता का विषय रहा है। चुनाव के वक्त कालेधन का प्रवाह और तेजी से बढ़ जाता है, यह कोई छिपी बात भी नहीं है। किसी को भी पता नहीं चल पाता कि कौन किस पार्टी को कितना पैसा चंदे के रूप में दे रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल सभी राजनीतिक दलों से कहा था कि वे चुनावी बांड के जरिए मिले चंदे और दानकर्ता का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपें। जिसके बाद कई दलों ने ऐसा किया भी।
चुनावी बांड ऐसी व्यवस्था है जिसमें कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं। मोदी सरकार ने पिछले साल ही इस व्यवस्था को शुरू किया था। सराकर ने इसके लिए फाइनेंस एक्ट में बदलाव भी किया था।
सरकार ने ऐसा दलों को मिलने वाले चंदों में पारदर्शिता लाने के लिए किया था। इस व्यवस्था में कोई भी कॉरपोरेट या कोई व्यक्ति अपना नाम छिपाकर बैंक में जाकर बांड की रकम भरकर अपनी पसंदीदा राजनातिक पार्टी को चंदा दे सकता है ।