केंद्रीय दूरसंचार और सूचना तकनीक मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि देश में आगामी पांच साल के दौरान करीब 11 लाख करोड़ रुपये मूल्य के मोबाइल हैंडसेट का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए सैमसंग, लावा, डिक्सन और एप्पल की खातिर काम करने वाली देसी-विदेशी करीब 22 कंपनियों ने सरकार के सामने प्रस्ताव पेश किए हैं. उन्होंने कहा कि कंपनियों की इस पहल से देश में करीब 12 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. इसमें 3 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा, जबकि 9 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि कंपनियों ने सरकार के 41,000 करोड़ रुपये की उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत अपने प्रस्ताव जमा कराए हैं. इससे देश में करीब 12 लाख रोजगार अवसरों का सृजन होगा. इनमें 3 लाख प्रत्यक्ष तथा 9 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
कुल 22 देसी-विदेशी कंपनियों ने किया आवेदन
प्रसाद ने कहा कि इनमें करीब 11 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल विनिर्माण करने और करीब 7 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल फोन का निर्यात करने के प्रस्ताव हैं. मैं आवेदन करने वाली कंपनियों का निजी तौर पर शुक्रिया अदा करता हूं. उन्होंने कहा कि पीएलआई के तहत कुल 22 कंपनियों ने आवेदन किया है. इसमें ताइवान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी और ऑस्ट्रिया की कंपनियां शामिल हैं.
कीमत को लेकर सरकार ने रखी शर्त
प्रसाद ने कहा कि इस योजना के तहत प्रस्ताव जमा कराने वाली विदेशी कंपनियों में सैमसंग, फॉक्सकॉन होन हेई, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन शामिल हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए इन विदेशी कंपनियों के लिए 15,000 रुपये या उससे अधिक मूल्य के मोबाइल फोन विनिर्माण की शर्त रखी गयी थी. भारतीय मोबाइल फोन विनिर्माता कंपनियों के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है.
पीएलआई योजना से मोबाइल फोन निर्माण की बढ़ेगी रफ्तार
फॉक्सकॉन होन हेई, विस्ट्रॉन तथा पेगाट्रॉन अनुबंध पर एप्पल आईफोन का विनिर्माण करती हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक, मोबाइल फोन की वैश्विक बिक्री में एप्पल की हिस्सेदारी 37 फीसदी और सैमसंग की 22 फीसदी है. पीएलआई योजना से देश में मोबाइल फोन का विनिर्माण कई गुणा बढ़ने की उम्मीद है.
हजारों करोड़ रुपये निवेश करेंगी कंपनियां
प्रसाद ने कहा कि आवेदन स्वीकार होने के बाद ये कंपनियां कई हजार करोड़ रुपये का निवेश करेंगी. उन्होंने कहा कि लावा, डिक्सन टेक्नोलॉजीज, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैजेट इलेक्ट्रॉनिक्स, सोजो मैन्युफक्चरिंग सर्विसेस और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी भारतीय कंपनियों ने भी पीएलआई के तहत आवेदन किया है, जबकि 10 अन्य कंपनियों ने विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जे श्रेणी के तहत आवेदन किया है. ये प्रस्ताव करीब 45,000 करोड़ रुपये के हैं.
योजना में चीनी कंपनियां नहीं हैं शामिल
उन्होंने कहा कि इनमें आवेदन करने वाली प्रमुख कंपनियों में एटीएंडएस, एसेंट सर्किट्स, विजिकॉन, वालसिन, सहस्रा, विटेस्को और नियोलिंक शामिल हैं. इस योजना के तहत किसी भी चीनी कंपनी ने आवेदन नहीं किया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी देश की कंपनियों के निवेश का विरोध नहीं करता है, लेकिन कंपनियों को अनुमति पाने के लिए सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा. सरकार को इससे एक लाख करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है.