खबर है कि अपने पहले 35 घंटे में अमेजन ने 750 करोड़ रूपये के सिर्फ मोबाइल फोन बेचे हैं । अन्य उत्पादों की बात तो छोड़ ही दें, और ये सिर्फ अमेजन की बात नहीं है । ऐसे सेल इस त्योहारी सीजन में लगभग सभी बड़ी ऑनलाइन कंपनी यथा फिल्पकार्ट, स्नैपडील आदि दे रही है । फिल्पकार्ट ने तो पिछले साल के मुकाबले इस साल इस फेस्टिव सीजन में दुगुना का व्यापार कर लिया है ।
यह आंकडे चौकाने वाले है, क्योंकि हम वैसे देश से आ रहे हैं, जहाँ की जीडीपी लगातार डिग्रोथ कर रही है, मीडिया मंदी मंदी की रट लगाये हुए हैं और हम है कि बगल के दुकान से समान न खरीदकर अमेजॉन और फिल्पकार्ट की जेबें भर रहे हैं । हाल ये है कि मोबाइल दुकानदार ऑनलाइन कपड़ा खरीदता है, कपड़ा दुकानदार ऑनलाईन मोबाइल खरीदता है, किराना दुकानदार ऑनलाईन जुता आर्डर करता है और जुता दुकानदार ऑनलाइन ग्रोसरी । और फिर ये सब आपस में मिलकर बातें करते हैं यार दुकान में कोई कस्टमर नहीं आ रहा है ।
अंग्रेजो ने भारत को तोड़ने के लिये जो सबसे पहला काम किया वो था, ‘नशे की लत ।‘ यानी इतना लती बना दो इंसान को कि आदमी रोटी न खाकर नशा ही करें । पुराने जमाने का एक किस्सा दादी माँ सुनाती थी, भिखारियों की कहानी । किस्सा का सार ये था कि अगर भिखारी को दो पैसे मिलते थे, तो वो रोटी न खा कर अफ़ीम खरीदना ज्यादा पसंद करता था ।
भले ही ये कहानी काल्पनिक हो, पर कमोबेश यही स्थिति इस समय की अर्थव्यवस्था की कही जा सकती है । उस समय सभी लघु और कुटीर उद्योगों को इंग्लैंड की कंपनी बर्बाद कर रही थी । आज उनका स्थान मल्टी नेशनल कंपनियों ने ले लिया है । देश में बेरोज़गारी अपने चरम सीमा पर पहुँच रही है, वजह ये नहीं कि देश में रोजगार नही है । वजह ये है कि लोग देश में रोजगार पैदा करना नहीं चाहते हैं ।
ऑटो मोबाइल सेक्टर पिछले कई दिनों से मंदी की मार झेल रहा है । लगतार ये कंपनियां छटनी कर रही है । वही दूसरे नंबर पर इसका शिकार टेक्सटाइल इंडस्ट्री है । इस सबंध में अगर NITIMA (North India Textile Mills Association) की माने तो 2019 के अप्रैल जून में 34% सूती यार्न की गिरावट आई और 350 करोड़ अमरीकी डॉलर का नुक्सान हुआ । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उद्योग की अतिरिकत सहायता के बजाय 2018-19 में बजट घटा कर 6943 करोड़ से 5831 करोड़ कर दिया ।
गौरतलब है कि भारत में खेती के बाद ये सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला क्षेत्र है । पिछले दिनों एक आंकड़े के मुताबिक 2018-19 में इनरवेयर का कारोबार अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुँच चुका है । UNDERGARMENTS बेचने वाली चार शीर्षस्थ कंपनियों का जून तिमाही का प्रदर्शन एक दशक के सबसे निचले दौर पर है । जॉकी जैसे मँहगे ब्रांड से लेकर लोकल अंतर्वस्त्र बनाने वाले भी इससे अछूते नहीं है। सभी अर्थशास्त्री और बुध्धिवेटा देश की भोजन वस्त्र और आवास जैसे मूलभूत जरूरत पर अपनी चिंता जाहिर कर इसका समाधान के लिए मीटिंग और रिपोर्ट्स तैयार कर रहे होते हैं तभी AMAZON नाम की एक विदेशी कंपनी जो की लोगो को ऑनलाइन सेवा प्रदान करती है उसने अपनी AMAZON GREAT INDIAN FESTIWAL SALE की घोषणा करती है । उसमे और तो और मोबाइल के दामों में भारी गिरावट का ऐलान किया जाता है । इसके साथ उसी रोटी के बदले अफीम खरीदने पर फिर से भारतीय आमादा हो जाते हैं । मोबाइल को इंडिया लाने की बात पर स्वर्गीय धीरू भाई अम्बानी ने देश से पोस्ट कार्ड बंद करने की बात कही थी लेकिन शायद आज उनकी आत्मा धन्य हो गयी हो क्योंकि आज भारतीयों ने अपने अंत:वस्त्र का त्याग कर मोबाइल को चुनना ज्यादा पसंद किया है ।
रिपोर्ट्स कहते हैं कि ऑनलाइन रिटेलिंग पोर्टल्स इन फेस्टिव सीजन में कुल 5 बिलियन डॉलर का कारोबार कर सकते हैं या फिर इससे ज्यादा भी । जाहिर है सवाल तो उठेंगे ही । अंडरवियर ख़रीदने से हिचक रही जनता आखिर मोबाइल फोन पर क्यों टूट रही है?