राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Janmbhoomi Movement) की सबसे मुखर आवाज रहे लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के बीच अपनी अधिक उम्र के चलते राम मंदिर की आधारशिला (foundation stone) रखे जाने के कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो सकेंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के जरिए वे समारोह में जुड़ेंगे. लेकिन इस अवसर पर उन्होंने अपना एक वक्तव्य (statement) जारी किया है. इसमें आडवाणी ने कहा है कि कभी-कभी किसी के जीवन में महत्वपूर्ण सपना पूरा होने में काफी समय लग जाता है, लेकिन जब वह आखिरकार पूरा होता है, तो इंतजार सार्थक हो जाता है. ऐसा ही एक सपना, जो मेरे दिल के करीब है जो अब पूरा हो रहा है.
आडवाणी ने यह भी कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi), राम की जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण की आधारशिला रख रहे हैं. यह वास्तव में मेरे लिए ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक दिन (historical and emotional day) है.”
पूर्व उपप्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “मेरा मानना है कि राम मंदिर सशक्त, संपन्न और सौहार्दपूर्ण राज्य के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा जहां पर सभी को न्याय मिलेगा और कोई अलग-थलग नहीं होगा.”आडवाणी ने कहा, ‘मैं राम जन्मभूमि आंदोलन में योगदान और बलिदान देने वाले भारत और दुनिया के संतों, नेताओं और लोगों के स्कोर के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं. मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णायक फैसले के कारण राम मंदिर का निर्माण शांति के माहौल में शुरू हो रहा है. यह भारतीयों के बीच के बंधन को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.
मैं इस पर विनम्रता महसूस करता हूं कि राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान 1990 में भाग्य से मैंने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा के रूप में एक महत्वपूर्ण कर्तव्य निभाया. जिसने इसमें शामिल होने वाले अनगिनत प्रतिभागियों की आकांक्षाओं, ऊर्जाओं और जुनून को मजबूती देने में मदद की. इस शुभ अवसर पर, मैं राम जन्मभूमि आंदोलन में बड़ी संख्या में बहुमूल्य योगदान और बलिदान देने वाले भारत और दुनिया के संतों, नेताओं और लोगों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं.
मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णायक फैसले के कारण, श्री राम मंदिर का निर्माण शांति के माहौल में शुरू हो रहा है. यह भारतीयों के बीच के बंधन को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा. राम भारत की संस्कृति और सभ्यता की विरासत में एक सम्मानित स्थान पर काबिज हैं और अनुग्रह, गरिमा और अलंकरण के प्रतीक हैं. यह मेरा विश्वास है कि यह मंदिर सभी भारतीयों को उनके गुणों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगा. यह मेरा विश्वास भी है कि राम मंदिर भारत का सभी के लिए एक मजबूत, समृद्ध, शांतिपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण और सभी के लिए न्यायपूर्ण राष्ट्र के रूप में प्रतिनिधित्व करेगा और किसी का भी बहिष्करण नहीं करेगा ताकि हम वास्तव में रामराज्य में सुशासन के प्रतीक बन सकें.
भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी के नाते मोदी ने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 में हुई ‘राम रथ यात्रा’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जबकि आदित्यनाथ के गुरू स्वर्गीय महंत अवैद्यनाथ ने 1984 में बने साधुओं और हिन्दू संगठनों के समूह की अगुवाई कर मंदिर आंदोलन में अहम योगदान दिया था.
साल 1989 में पालमपुर में हुए भाजपा के अधिवेशन में पहली बार राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया. आडवाणी ने अपनी प्रसिद्ध रथ यात्रा की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ मंदिर से की थी. उनकी इस यात्रा को 1990 में प्रधानमंत्री वी पी सिंह के अन्य पिछड़ा वर्गो के आरक्षण के मकसद से शुरू की गई मंडल की राजनीति की काट के रूप में भी देखा जाता है.