आप आशिक हैं। कभी बरखा की बूंदों ने आपको डेट पर जाने से रोका है। अगर रोका होगा, तो यकीनन आपके जेहन में तब यही गाना आता होगा कि थम के बरस, जरा थम के बरस, मुझे महबूब के पास जाना है। देखो अब आप झूठ मत बोलना। आशिकी बिना गाने के होती नहीं जनाब, लेकिन आज हम आपको इस गाने के अलग एंगल से मिलवाते हैं। क्योंकि यही गुहार बारिश में पटना भी लगाती है।
अरे बारिश में क्यों, जब कभी बिन मौसम भी बारिश के बूंदों की आपात कालीन लैंडिंग होती है, तो शहर पटना यही गाता है – ‘थम के बरस, जरा थम के बरस – शहर पटना स्मार्ट सिटी बनने वाला है।’ मोदी जी ने तो भारत के शहरों को स्मार्ट बनाने की ठान ली, जो सराहनीय भी है। इसमें बिहार के कोटे में पटना शहर आया, जिसके नगर निगम की कोई बैठक बिना लफड़ा के खत्म नहीं होता।
मंत्री कहते हैं बारिश में अब रोड हेलेगा नहीं, नगर निगम के पार्षद कहते हैं जलजमाव से छुटकारा पाने की पूरी तैयारी है। तो पटना को लगता है कि स्मार्ट सिटी बनने की जो सबसे बड़ी बाधा थी, वो दूर हो गयी। लेकिन उसको कहाँ पता है कि बातों का लहरिया काटने से कुच्छो नहीं होता है। तबे तो तनी सा ओठ भींगाने वाली बारिश होती है और मौर्या होटल के बाहर बाइक के सायलेंसर में पानी घुसने लगता है।
ई आजो हुआ। ढ़ेर दिन से खाली गर्मिये था । अभी साँझ को तने-मने हो गया बुंदाबादी तो सड़क पानी पानी हो गया । थोड़ा और पड़ जाता तो सुशील मोदी के घर में पानी घुसने से कोई नहीं रोक सकता था और न ही एन एम सी एच में मछली मारने से । यही तो वजह है कि गर्मी से हलकान होने के बाद भी पटना को ना मानक होने से डर लगता है कि कहीं स्मार्ट सिटी बनने से हाथ धोना न पड़े । इसलिए आप प्यार में गुनगुनाइए थम के बरस, हिस्ट्री से स्मार्ट बनने वाला यह शहर बरसात में गुनगुनयेगा।
अतुल रंजन पेशे से पत्रकार है, मिजाज से लेखक । इनके खबर में प्रेम होता है और प्रेम की भाषा होती है । एक हंसमुख इंसान जो दिल से लिखता है ।“