ग्रैंड होटल या ग्रांड होटल, जिसे अब ओबेरॉय ग्रैंड के नाम से जाना जाता है, जवाहरलाल नेहरु रोड (जिसे पहले चौरंगी रोड कहा जाता था) पर कोलकाता की के हृदय में स्थित है। यह अंग्रेजी काल की एक सर्वसज्जित और विशालकाय इमारत है जोकि कोलकाता में बहुत प्रसिद्ध भी है। इस होटल को ओबेरॉय चैन ऑफ़ होटल्स ने खरीद रखा है। आजाद भारत के सबसे धनी सांसद दरभंगा के आखिरी महाराजा कामेश्वर सिंह को यह होटल बहुत पंसद था। कलकत्ता में रहते थे तो एक बार जरुर इस होटल में जाते थे।
कामेश्वर सिंह की कई आदतें अनोखी थी। उनके जेब में पैसे के नाम पर कुछ नहीं होता था, लेकिन वो पैसे खर्च करने में इतने उदार थे कि देश के तमाम बडे होटलों में कर्मचारियों को उनके आने का इंतजार रहता था, क्योंकि वो सबको कुछ न कुछ देते थे। ग्रैंड होटल से उनका रिश्ता तो और खास था।
कामेश्वर सिंह खाने से ज्यादा खिलाने के शौकीन थे। भारत के वो इकलौते ऐसे कारोबारी सांसद है, जिनके होटल (रेस्ट्रां) में आने के बाद उसके कैश काउंटर को बंद कर दिया जाता था। वहां बैठ कर खा रहे तमाम लोगों के बिल स्वत: कामेश्वर सिंह के नाम पर ट्रांसफार हो जाता था। यह बात लोगों को तब पता चलता था, जब वो वेटर से बिल की मांग करते थे।
होटल मालिकों के लिए यह तनाव का समय होता था। वो कर्मचारियो को कामेश्वर सिंह से दूर रखने के लिए तरह तरह के प्रयास करते रहते थे। कामेश्वर सिंह जब होटल से निकलने लगते थे तो वो अपने किसी कर्मचारी से पैसे मांग लेते थे। जितना पैसा उनके हाथ में आता था वो कर्मचारियों में बांटते हुए निकल जाते थे। जब किसी कर्मचारी से प्रर्याप्त धन नहीं मिलता था तो उसे कहते थे कोर्ट और कफन में अंतर होता है, कफन में जेब नहीं होता है, कोर्ट मे पैसे रखा कीजिए । आज कहां हैं ऐसे नेता ? ऐसा कारोबारी ? जो दिल से राजा हो ? आजकल तो बडे बडे लंगर खिलानेवाले भी देखते हैं कि उन्हें खिलाते हुए मीडिया देख रहा है या नहीं ? समाचार बन रहा है या नहीं ? सचमुच वो कफन ओढ कर जिंदा था ?