बरसात का मौसम आ गया । बिहार से बाहर ये शब्द सुनकर भले ही मन मयूर हो जाएं । लेकिन यहाँ रूह काँप जाती है । निक्कमे नेताओं और प्रशासन के वजह से बिहार हर साल डूबता है । हर साल धो-धखार कर फिर से खड़ा होता है इस उम्मीद में कि अगली बार उन्हें इस कीचड़ से मुक्ती मिलेगी । लेकिन नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात ।
साल 2019 की घटना आपको याद ही होगी । 26 सितंबर 2019 का दिन था । पुरा पटना डूब गया था । आदरणीय सुशील मोदी को हॉफ पैन्ट में भागना पड़ा था । पिछली रात भी कुछ ऐसा ही हुआ । मूसलाधार बारिश ने पूरे पटना को पानी मे डूबा दिया। महज कुछ घंटों की बारिश में पटना का शायद ही कोई मोहल्ला ऐसा बचा हो, जहां घुटने तक पानी का जमाव न हो। हालात बिल्कुल वैसे ही नजर आ रहे थे, जैसा कि दो साल पहले था। इस दौरान राज्य सरकार, नगर निगम ने चाहे कितने दावे किए हों, लेकिन स्थिति जस की तस नजर आई। कुछ घंटों की बारिश ने बता दिया कि राजधानी पटना में सुधार के नाम पर करोड़ों रुपए कहां गए।
एशिया की सबसे बड़ी कॉलोनी कहे जाने वाले कंकड़बाग का इलाका हो या पटेलनगर, गर्दनीबाग सब जलाजोद हो गया । घुटने तक पानी ही पानी । रात की बारिश के बाद लगभग सभी जगह उसी तरह पानी का जमाव देखने को मिला। लोग इस व्यवस्था को लेकर सरकार और निगम को कोसते नजर आए। लोगों का कहना था कि दो साल बाद भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।
डूब गया पूरा विधानमंडल और डिप्टी सीएम का आवास
राजधानी पटना में बारिश के कारण हुए जलजमाव को लेकर नगर निगम और राज्य सरकार ने कितना काम किया है, वह बिहार विधान मंडल में देखा जा सकता है। जहां प्रवेशद्वार से लेकर पूरे परिसर में सिर्फ पानी ही पानी दिख रहा था। यह स्थिति उस जगह की है, जहां पूरे प्रदेश के विधायक लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए योजना बनाते हैं। यही हाल उपमुख्यमंत्री रेणु सिन्हा के आवास का भी है वहाँ भी घुटना भर पानी है ।
अच्छा हुआ सीएम ने ऑंखों का ऑपरेशन करवा लिया
दो दिन पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार नई दिल्ली एम्स में अपनी आंखों का ऑपरेशन कराया है। जिसके बाद अब पटना के लोगों का कहना है कि अच्छा हुआ क्योंकि अब शायद उन्हें बिहार की राजधानी की खराब व्यवस्था ज्यादा बेहतर तरीके से नजर आएगी। वर्ना वह यह कहते कि उन्हें कोई कमी नजर ही नहीं आ रही है। हम लोग भी यही दुआ करें कि नीतीश कुमार के आँखों में जो खराबी थी वो ठीक हो गई हो तो उन्हें बिहार की दुर्दशा दिखाई पड़े ।