आज के दिन ही अर्थात 13 दिसम्बर 1929 को हिंदी एंव मैथिली साहित्य सरोवर के “राजकमल” राजकमल चौधरी ( फुल बाबु ) का जन्म हुआ था ।
आई दिसम्बर महिनाक तरह तारीख थिक , हम साल केँ दु टा दिन जल्दी नहि बिसरति छी, दिसम्बर महीना क’ तेरह तारीख आ जून महिनाक उन्नीस तारीख , बिसरल कोना जा सकैत अछि कारण हिंदी आ मैथिली साहित्य जगतक सरोवरक “राजकमल” केँ सम्बन्ध जे एहि दुनु दिवस सँ छनि ।
नागार्जुन एक ठाम लिखैत छथि –
बिम्बग्राही तुम स्वच्छ स्फटिक तुम प्रभा तरल
भासित जिसमे सित- असित, मलिन एंव उज्ज्वल
तुम चर्चाओ के केन्द्रबिन्दु , तुम नित्य नवल
इस-उस पीढ़ी के लिए विरोधाभास प्रबल
बाहर छलमय, भीतर भीतर थे निश्छल
तुम तो थे अदभुत व्यक्ति, चौधरी राजकमल
राजकमल चौधरी के परिचय लेल यात्री जी केँ ई चारि पाँति बहुत हद तक सहायक होएत अछि ।
राजकमल अर्थात राजकमल चौधरी, राजकमल अर्थात वीर विक्रम फूल बाबू राजा मणीन्द्र नारायण मधुसूधन दास चौधरी, राजकमल अर्थात मणीन्द्र, राजकमल अर्थात फूल बाबू । अझुके दिन अर्थात 13 दिसम्बर 1929 ई के राजकमल चौधरी के जन्म अपन मामागाम रामपुरमे भेल छलनि, ओना हिनक पैतृक गाम मिथिलाक महिमामण्डित संस्कृतिनिष्ठ मण्डन मिश्रक गाम आ जगत जननी माँ उग्रताराक सुप्रसिद्ध पीठ महिषी छलनि ।
कहल जाएत अछि जे हिंदी आ मैथिली साहित्य के अपन कलम सँ समृद्ध कर’ वाला राजकमल अपन व्यक्तिगत जीवन केँ कहियो समृद्ध नहि क’ सकला । विवाह उपरांत राजकमल अपने अपन परिस्थिक दारुन चित्रण एकठाम ‘हितोपदेश’ शीर्षक कवितामे कएनहु छथि –
नइ चलत काज
कालिदासक वाणभट्ट विद्ययापति कएने
विक्रमादित्य, श्रीहर्ष, लखिमा ठकुराइन सभ
भ’ जाथु स्वाहा
जाइ छी , खोलब पान- बीड़ीक दोकान
दरभंगा टावर- चौराहा ।
*राजकमल चौधरी के सम्बन्ध में किसी तथ्य की सत्यता तक पहुंचने के क्रम में निरंतर याद रखा जाना चाहिए कि राजकमल एक ऐसे विवादास्पद व्यक्तित्व का नाम है, जो स्वयं संदेह और विवाद में गहन अभिरुचि रखते थे। यहां तक कि अपने सम्बन्ध में किसी तथ्य को सही-सलामत रहने देने में उनकी अभिरुचि नहीं थी। – प्रो० देव शंकर नवीन
* राजकमल चौधरी का जन्म १३ दिसम्बर १९२९ को ननिहाल रामपुर मे हुआ था |
* हलाकि राजकमल चौधरी के जन्म-स्थान के संदर्भ में भी अनेक भ्रांतियां हैं, जो अति विचित्र-सी लगती हैं।
* राजकमल चौधरी की पितृ-भूमि निस्संदेह सहरसा जिले अंतर्गत महिषी गाँव है, और इनके बचपन का अधिकांश समय महिषी में ही बीता था |
* राजकमल चौधरी का असली नाम मणींद्र नारायण चौधरी था। यह नाम उन्हें उनके पिता मधुसूदन चौधरी ने दिया था।
* राजकमल चौधरी, पंडित मधुसूदन चौधरी की द्वितीया पत्नी, त्रिवेणी देवी के तीन पुत्रों में ज्येष्ठ हैं।
* राजकमल चौधरी के दो सहोदर भाई और एक बहन भी थे |
* राजकमल चौधरी जब छह-साढ़े छह वर्षों के थे, उसी समय उनकी मां का देहांत हो गया और पिता ने कुछ ही दिनों के बाद दूसरी शादी कर ली।
* राजकमल की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा अपने पिता के साथ विभिन्न शहरों में सम्पन्न हुई। जयनगर में उनके पिता उच्च विद्यालय में शिक्षक थे। लोअर प्राइमरी उन्होंने वहीं से किया।
* राजकमल चौधरी के पिता मधुसूदन चौधरी कट्टर विचारों के परम्परागत मैथिल ब्राह्मण थे।
* राजकमल के पिता बुद्धिमान और विवेकी होने की बावजूद कामुक और स्त्री-शरीर के दास थे, ऐसा राजकमल के उद्धरणों से ही ज्ञात होता है।
* सन् 1953 में राजकमल चौधरी ने गया कॉलेज से बी.कॉम. किया।
* नार्मन एल. ने अपनी पुस्तक ‘मन’ में कहा है कि जब अभिभावक अथवा शिक्षक द्वारा यह प्रयास किया जाता है कि उनके सारे गुण अथवा अवगुण बच्चों में आरोपित हो जाएं और जैसे वे स्वयं हैं, वह बच्चा भी वैसा ही हो, तो यह बालक के विकास हेतु बहुत बाधक साबित होता है और ऐसा बच्चा या तो मूर्ख होता है या विद्रोही। शायद ये कथन राजकमल चौधरी के विषय मे लिखा गया था ,राजकमल मूर्ख और भोंदू तो नहीं हुए, विद्रोह और क्रांतिकारिता उनके स्वभाव में आई |
* राजकमल मे छात्र जीवन से ही इतिहास की घटना तथा विज्ञान के सिद्धांत से कोई ठोस निष्कर्ष निकाल लेने की अपूर्व क्षमता थी।
* कुछ तो अपनी पारिवारिक विसंगति के कारण और कुछ सामाजिक कुप्रथाओं के कारण बचपन से ही राजकमल विद्रोही स्वभाव के थे।
* बहुत कम लोग जानते है की राजकमल चौधरी का अखिल भारतीय किसान सभा से भी जुड़ाव हुआ था |
* राजकमल चौधरी ग्लास मे चाय पिया करते थे |
* जब राजकमल भागलपुर में रहते थे, तब शोभना नाम की एक तरुणी से उनका प्रगाढ़ स्नेह था। शोभना, किसी पुरातत्त्व अधिकारी की पुत्री थीं और मैथिल परिवार के धार्मिक संस्कार में पली-बढ़ी थीं।
* शोभना साथ राजकमल का स्नेह-सम्बन्ध पटना में ही अंकुरित हुआ था।
* मैथिली में राजकमल चौधरी की पहली रचना अक्टूबर, 1954 में प्रकाशित हुई। पहली प्रकाशित कविता है ‘पटनिया टट्टूक प्रति’ (वैदेही, फरवरी, 1955) और पहली प्रकाशित कथा है ‘अपराजिता’ (वैदही, अक्टूबर, 1954)।
प्रकाशित महत्वपूर्ण कृतियाँ :
मैथिली :
आन्दोलन (उपन्यास)
आदिकथा (उपन्यास)
पाथर फूल (उपन्यास)
ललका पाग (कहानी संग्रह)
एक अनार एक रोगाह (कहानी संग्रह)
निर्मोही बालम हमर (कहानी संग्रह)
एकटा चम्पाकली एकटा विषधर (कहानी संग्रह)
कृति राजकमलक (कहानी संग्रह)
स्वरगंधा (कहानी संग्रह)
कविता राजकमलक (कहानी संग्रह)
हिंदी :
मछली मरी हुई (उपन्यास)
देहगाथा (उपन्यास)
नदी बहती थी (उपन्यास)
शहर था शहर नहीं था (उपन्यास)
अग्निस्नान (उपन्यास)
बीस रानियों के बाइस्कोप (उपन्यास)
एक अनार एक बीमार (उपन्यास)
ताश के पत्तों का शहर (उपन्यास)
सामुद्रिक और अन्य कहानियाँ (कहानी संग्रह)
मछलीजाल (कहानी संग्रह)
प्रतिनिधि कहानियाँ (कहानी संग्रह)
कंकावती (कविता संग्रह)
मुक्ति प्रसंग (कविता)
इस अकालबेला में (कविता संग्रह)
विचित्रा (कविता संग्रह)