कोरोना वायरस का संबंध एक ऐसे वायरस समूह से है जिसे अभी तक देखा नहीं गया है। कोरोना वायरस का आकार मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है। जैसा कि हम सभी जानते है इस भयानक वायरस का प्रसार चीन के वुहान शहर से हुआ है। कोई भी वायरस का रोकथाम उस वायरस के लिए बने वैक्सीन से ही संभव है पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना के वैक्सीन निर्माण की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है।
कोरोना के लक्षण
यह बीमारी न्यूमोनिया या यूं कहें तो फ्लू से मिलता – जुलता हैं। अतः इससे संक्रमित होने वाले व्यक्तियों में सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में परेशानी, नाक से पानी निकालना तथा गले में खरास जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। किसी भी बीमारी जैसे हृदयाघात, अस्थमा, रक्तचाप और डायबिटीज हुए व्यक्तियों के प्रतिरक्षा प्रणाली को ये आसानी से समाप्त कर देता है, जिससे मौत भी हो जाती हैं।
एक रिसर्च के अनुसार लगभग 30 प्रतिशत कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों में डायरिया और उल्टी जैसे लक्षण भी पाये गए हैं तथा बहुत से कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को सूंघने और स्वाद की क्षमता में भी कमी आ जाती है।
कोरोना से बचाव के उपाय
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाथों को साबुन से धोना चाहिए, किसी वस्तुओं को छूने के बाद अल्कोहल आधारित हैंड रब का उपयोग करें, घर से बाहर निकलने पर मास्क या तौलिया से मुंह को जरूर ढ़के, खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को रूमाल या टिश्यू पेपर से ढ़ककर रखें। जिन व्यक्तियों में भी फ्लू के लक्षण दिखाई दे तो उससे दो गज की दूरी बनाये रखें।
भारत सरकार ने इसे रोकने के लिए अनेक प्रयास किये जिससे वृद्धि दर कम हुई पर रूकी नहीं। जब देश में लाॅकडाउन 4 की घोषणा गई तो इसमें कई तरह की छूट भी दी गई है। सरकार के द्वारा उठाए जा रहे कुछ कदम अब देश में हर्ड इम्युनिटी यानि सामुहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता का संकेत दे रहा है। जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों व महामारी से निपटने वाला वैज्ञानिक समूहों का भी मानना है कि सरकार अब हर्ड इम्युनिटी की तरफ बढ़ रही हैं। विश्व को कोरोना वायरस से बचाने के लिए यूके के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वैलैस के द्वारा हर्ड इम्युनिटी अपनाने की सलाह दी जा रही है। देश के 60 प्रतिशत आबादी को संक्रमित कर दिया जाए तो कोविड 19 के संक्रमण को रोका जा सकता है।
हर्ड इम्युनिटी प्रक्रिया में यदि पर्याप्त लोगों में किसी रोग विशेष के प्रति इम्यून हो तो उस रोग अथवा वायरस के श्रृंखला को आसानी से तोड़ा जा सकता है, साथ ही पूर्व से ग्रसित किसी भी रोगी तक पहुंचने से रोका जा सकता है। पोलियो 80 से 85 प्रतिशत और खसरा 90 से 95 प्रतिशत विश्व के जनसंख्या को प्रभावित कर सकता था। जब काफी लोग वायरस के चपेट में आते हैं तो कुछ लोगों में स्वतः रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होकर उस रोग से लड़ना आरंभ कर देता है। जब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ जाती है तो समय के साथ उस वायरस का संक्रमण समाप्त होने लगता है। कोरोना के संदर्भ में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह एक साल में विश्व की 60 प्रतिशत जनसंख्या को संक्रमित कर देगा। इस तरह इंसानों में स्वतः प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास हो जाएगा, जिसके कारण कोरोना का प्रसार स्वतः धीमा पड़ जाएगा। शुरुआत में इंग्लैंड और अब स्वीडन भी हर्ड इम्युनिटी पर काम कर रहा है।
हर्ड इम्युनिटी को लेकर वैज्ञानिकों के सामने कुछ परेशानियां भी हो सकती है। कोरोना वायरस की अधिक जानकारी का अभी अभाव सा है। हर्ड इम्युनिटी प्रणाली सही तरह से तब कार्य करती है:-
- जब कोई व्यक्ति संक्रमण से उबर चुका हो।
- कोरोना संक्रमण में अभी यह भी प्रमाणित नहीं हुआ है कि संक्रमण से उबर चुका व्यक्ति पुनः संक्रमित नहीं होगा।
नीतिश कुमार भारद्वाज : नीतीश कुमार की पहचान एक पर्यावरण प्रेमी की है आप प्लास्टिक अभियंता, बी.एस.सी., बी.एड., एम.एड. हैं । आप पी.एम.मिश्रा विज्ञान क्लब दरभंगा, (वि.पौ.विभाग भारत सरकार) के अध्यक्ष और बिहार पर्यावरण संरक्षण अभियान, भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था, कोलकाता, ब्रेकथ्रू साईंस सोसाइटी, कोलकाता, ग्रीन केमिस्ट्री नेटवर्क, डीयू नई दिल्ली और स्वयंसेवक, पेटा (पीपल्स फॉर द ईथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) के सदस्य भी है ।