देश के 51 ऐसे नामीगिरामी लोग हैं जो हजारों करोड़ की धोखाधड़ी कर देश छोड़कर भागे हुए हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इन लोगों धोखाधड़ी से जुटाई गई रकम 17947.11 करोड़ रुपये है। धोखाधड़ी करने और देश छोड़कर भागने वालों में पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी, पूर्व आईपीएल प्रशासक ललित मोदी और हथियार डीलर संजय भंडारी समेत शराब कारोबारी विजय माल्या का नाम भी शामिल है। आर्थिक अपराध के इन आरोपियों में से कई के बारे में सरकार को पूरी जानकारी है तो कुछ की तलाश जारी है।
ब्रिटेन की जेल में नीरव मोदी
गौरतलब है कि नीरव मोदी ब्रिटेन की जेल में बंद है। एक तरफ जहां भारत उसको प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रहा है वहीं पीएनबी से जुड़े दो अरब डॉलर के धोखाधड़ी और धनशोधन मामले का यह आरोपी इस प्रर्त्यपण की कोशिश के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नवंबर में हुई मामले की सुनवाई के दौरान उसने कोर्ट में यहां तक कहा था कि यदि उसको भारत भेजा जाता है तो वह खुद का मारने से नहीं चूकेगा। 4 दिसंबर 2019 को मामले की फिर सुनवाई होनी है।
फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट
इससे पहले ही फोरेंसिक ऑडिट की एक रिपोर्ट सामने आई है। इसमें ऑडिटर ने पाया कि पीएनबी की तरफ से 28 हजार करोड़ रुपये के मूल्य के 1561 एलओयू (Letter of Undertaking) नीरव मोदी ग्रुप को जारी किए गए थे। इसमें 25 हजार करोड़ रुपये के 1381 LoU फर्जीवाड़ा कर जारी किए गए थे। इस ऑडिट में पता लगा कि जिन 23 एक्सपोर्टर के नाम एलओयू जारी किए गए उनमें से 21 पर नीरव का ही कंट्रोल था। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि 193एलओयू जिनकी कीमत करीब छह हजार करोड़ रुपये थी का गलत इस्तेमाल किया गया।
मेहुल चौकसी और माल्या
इसी तरह से मेहुल चौकसी पर भी पीएनबी से 14 हजार करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप है। वह इस मामले का खुलासा होने से कुछ पहले देश छोड़कर भाग गया था। फिलहाल वह एंटीगुआ-बारबुडा में है और उसको वहां की नागरिकता हासिल है। इनके अलावा विज्या माल्या भी ब्रिटेन में ही है। आपकी जानकारी के लिए यहां पर ये भी बता दें कि 15 जुलाई 2018 इस तरह के अपराध कर देश छोड़ने वालों की संख्या 31 थी। इसका अर्थ ये है कि 16 माह के दौरान 20 अन्य आर्थिक अपराधी देश छोड़कर भागे हैं। जुलाई 2018 में यह जानकारी तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने लोकसभा में दी थी।
अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में दी है जानकारी
धोखाधड़ी के इन आरोपियों के बारे में वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने राज्यसभा में जानकारी दी है। उन्होंने भगोड़े आर्थिक अपराधियों से जुड़े एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी संसद को मुहैया करवाई हैं। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि दिसंबर 2019 तक आर्थिक अपराध के 66 मामलों में 51 आरोपियों ने देश छोड़कर अन्य देशों में शरण ले रखी है। इन आरोपियों ने देश को हजारों करोड़ का चूना लगाया है।
चल रही है जांच
मंत्री ने राज्यसभा को ये भी बताया कि इन सभी मामलों में जांच जारी है। इसके अलावा आर्थिक अपराध के इन सभी आरोपियों (willful defaulter) को सरकार भारत वापस लाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए उन देशों से जहां ये हैं इनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है। कुछ मामलों में इंटरपोल की तरफ से रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि देश में आर्थिक अपराध कर विदेश भागने वालों पर लगाम कसने के लिए वर्ष 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून बनाया गया था। यह कानून ऐसे अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का अधिकार देता है। इस कानून के तहत कोर्ट किसी डिफॉल्टर को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकती है।