प्याज़ के दाम आम आदमी के आंसू निकाल रहे हैं। राजधानी दिल्ली की आज़ादपुर मंडी में प्याज़ का थोक भाव 50 रुपए बताया जा रहा है। प्याज़ से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कीमतों में यह उछाल दरअसल प्याज़ की कम पैदावार का नतीजा है। वहीं दुसरी और कई व्यापारीयों का कहना है कि इस बार ज्यादा वर्षा के कारण काफी प्याज सड़ गया है ।
आज़ादपुर मंडी में प्याज़ व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र बुद्धिराजा कहते हैं कि पिछले सीज़न में प्याज़ की कीमत 4-5 रुपए प्रति किलो पहुंच गई थी, जिस वजह से किसानों ने इस बार प्याज़ की खेती कम कर दी ।
सुरेंद्र कहते हैं कि यही वजह है अब प्याज़ का स्टॉक कम पड़ रहा है और कीमतें ऊपर जा रही हैं।
वो कहते हैं, ”इस बार किसान ने प्याज़ बहुत कम लगाया, लगभग 25 से 30 प्रतिशत कम प्याज़ लगाया गया। इसके साथ ही बरसात की वजह से भी काफी प्याज़ ख़राब हो गया। इसी से डरकर किसान ने प्याज़ जल्दी निकाल दिया था। हमारा माल महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान से आता है। आमतौर पर अप्रैल में जो प्याज़ निकाला जाता है वह दिवाली तक चलता है लेकिन इस बार वो प्याज़ अभी ख़त्म हो चुका है।”
एशिया की सबसे बड़ी मंडी में प्याज़ के भाव
सुरेंद्र यह भी बताते हैं कि दिल्ली की मंडियों में अधिकतर प्याज़ महाराष्ट्र से मंगवाया जाता है और महाराष्ट्र से ही कम प्याज़ दिल्ली भेजा जा रहा है।
दरअसल महाराष्ट्र के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज़ मंडी है। देश भर में प्याज़ की कीमतें इसी मंडी से तय होती हैं।
लासलगांव मंडी में भी प्याज का भाव 45-50 रुपए प्रति किलो पहुंच चुका है।
लासलगांव एग्रीकल्चर प्रॉड्यूस मार्केट कमिटी के अध्यक्ष जयदत्ता होलकर बताते हैं कि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्याज़ किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ी है। वो कहते हैं कि पहले तो यहां सूखा पड़ा और उसके बाद भारी बारिश की वजह से प्याज़ की फ़सल को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
जयदत्ता बताते हैं कि महाराष्ट्र से तो उतना ही प्याज़ भेजा जा रहा है जितना बीते वर्षों में था, लेकिन आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से प्याज़ की आवक में फर्क पड़ा है।
विदेश से प्याज़ मंगवाने की ज़रूरत है?
हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सरकार अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और मिस्र से प्याज़ आयात करेगी। जिससे इसकी कमी को पूरा कर लिया जाएगा और कीमतें एक बार फिर स्थिर हो जाएंगी।
सरकारी कंपनी एमएमटीसी (मेटल्स एंड मिनरल्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) लिमिटेड ने पाकिस्तान, मिस्र, चीन, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य देशों से प्याज़ के आयात के लिए निविदा मंगाई थी जिस पर महाराष्ट्र के किसानों ने आपत्ति जताई थी।
इस संबंध में जयदत्ता होलकर कहते हैं, ”इससे कुछ भी फायदा नहीं होगा। अगर बाहर से प्याज़ मंगवाएंगे तो वह भी 30-35 रुपए प्रति किलो पड़ेगा, इसके बाद उसके ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी आएगा तो दाम उतने ही हो जाएंगे जितने मंडियों में चल रहे हैं।”
जयदत्ता यहां तक कहते हैं कि सरकार की तरफ से प्याज़ की लागत के संबंध में जो आंकड़ें जारी किए जा रहे हैं, वह फ़ेक होते हैं।
कीमतें नियंत्रित करने में जुटी सरकार
त्यौहारों के मौसम से ठीक पहले केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वे प्याज और दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पहल शुरू करें। दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के खाद्य मंत्रियों के साथ एक बैठक के दौरान खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने यह बात कही।
बैठक के बाद जारी एक प्रेस रिलीज़ में कहा गया है, “राज्य/संघ शासित क्षेत्रों की सरकारें, कम उपलब्धता वाले मौसम के दौरान कीमतों में नरमी लाने के लिए सहकारिताओं आदि के माध्यम से प्रत्यक्ष खुदरा बिक्री अथवा अपनी-अपनी पीडीएस दुकानों के माध्यम से खुदरा बिक्री के उद्देश्य से केंद्रीय बफर से प्याज और दालों के स्टॉक का उठान कर सकती हैं।”
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि राज्य और संघ शासित क्षेत्रों की सरकारें केंद्र के बफर स्टॉक से प्याज अथवा दालों की अपनी अपनी मांग नेफेड/उपभोक्ता मामले विभाग के सामने रख सकती हैं। फिलहाल केंद्र सरकार के पास 27 लाख टन दाल और 56000 टन प्याज बफर स्टॉक में मौजूद है।