भारतीय बैंक और फायनेंशियल इंस्टीट्यूशंस अब वर्चुअल करेंसी होल्डर्स और एक्सचेंज से डील कर सकेंगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से 2018 में लगाए गए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। आइए जानते हैं कि ये करेंसीज कैसे काम करती हैं, RBI ने क्या चिंताएं जताई थीं और बैन हटने के बाद अब क्या होगा?
Virtual currencies और Cryptocurrencies क्या हैं?
वर्चुअल करेंसी की कोई परिभाषा नहीं है। कुछ एजेंसियां इसे वैल्यू एक्सचेंज का तरीका बताती हैं, कुछ इसे गुड्स आइटम, प्रोडक्ट या कमोडिटी कहती हैं। मॉडर्न वर्चुअल करेंसी Bitcoin और उसकी बेस टेक्नोलॉजी Blockchain के फाउंडर सतोषी नाकामोटो के मुताबिक, Bitcoins ‘एक नया इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम है जो पूरी तरह से पीर-टू-पीर है और इसमें कोई थर्ड पार्टी इंवॉल्व नहीं होती।’
नाकामोटो के हिसाब से जाएं तो वर्चुअल करेंसीज का कोई सेंट्रल रेगुलेटर नहीं क्योंकि उन्हें ऐसी जगह रखा जाता है जो सारे यूजर्स को विजिबल होगी। ऐसी करेंसीज के सारे यूजर्स रियल टाइम में ट्रांजेक्शंस ट्रैक कर सकते हैं।
वर्चुअल करेंसीज को अधिकतर लोकल वर्चुअल नेटवर्क्स के जरिए बनाया, बांटा और स्वीकार किया जाता है। Cryptocurrencies इस मामले में थोड़ी अलग हैं। उनमें एनक्रिप्शन एग्लोरिद्म्स के रूप में सिक्योरिटी की एक्स्ट्रा लेयर रहती है।
क्या हैं फीचर्स?
क्रिप्टोकरेंसी में होने वाले ट्रांजेक्शन रिवर्स नहीं होते यानी एक बार पैसा गया, मतलब गया। इसमें किसी को पैसा भेजने के लिए आपको उसकी पहचान पता होना जरूरी नहीं है। आपका क्रिप्टो करेंसी एड्रेस ही इस दुनिया में आपकी पहचान है।
क्रिप्टोकरेंसी का एक फायदा ये भी है कि आपकी इंफॉर्मेशन सिक्योर रहती है और डेटा ब्रीच का रिस्क नहीं रहता है। पीर-टू-पीर होने की वजह से कोई मिडलमैन नहीं होता।
Bitcoin keys दो प्रकार की होती हैं- Public और Private। Public Key का यूज पैसा रिसीव करने के लिए होता है। अगर आपको अपने Bitcoins एक्सेस करने हैं तो Private Key चाहिए होगी। अगर Private Key खो गई तो समझिए आपके Bitcoins भी गए।
Cryptocurrency से खतरा?
एक्सपर्ट्स वर्चुअल करेंसीज में डील करते समय सावधान रहने की सलाह देते हैं। रिस्क तो है, मगर दुनियाभर के टेक्नोक्रेट्स वर्चुअल करेंसीज पर बैन के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि पूरी तरह प्रतिबंध लगा तो पूरा सिस्टम अंडरग्राउंड हो जाएगा, यानी इसपर कोई रेगुलेशन नहीं होगा।
जून 2013 में, RBI ने पहली बार वर्चुअल करेंसीज के यूजर्स, होल्डर्स और ट्रेडर्स को वार्निंग जारी की। RBI ने कहा कि इसके फायनेंशियल, ऑपरेशनल, लीगल और कस्टमर प्रोटेक्शन और सिक्योरिटी से जुड़े रिस्क होंगे जिनसे वे लोग दो-चार होंगे।
2014 में फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट आई। इसमें वर्चुअल करेंसीज के कानूनी इस्तेमाल और पोंटेंशियल रिस्क्स को हाईलाइट किया गया था। एक और रिपोर्ट तो यहां तक दावा करती है कि वर्चुअल करेंसीज का यूज टेरर फायनेंसिंग ग्रुप्स के बीच बढ़ रहा है।
क्यों लगा था बैन?
RBI ने वर्चुअल करेंसीज के ट्रेड और इस्तेमाल पर बैन लगाने के पीछे कई वजहें गिनाई थीं। सबसे बड़ी वजह तो इनकी वैल्यू में एक्सेसिव वोलाटिलिटी होना रही। यानी कब करेंसी की वैल्यू आसमान और कब गर्त में चली जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा इन करेंसीज का नेचर पूरी तरह से गुमनाम होता है जो कि ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग रूल्स के खिलाफ है।
डेटा सिक्योरिटी और कंज्यूमर प्रोटेक्शन के खतरे तो हैं ही, RBI को लग रहा था कि इससे उसकी मॉनेटरी पॉलिसी का प्रभाव भी कम हो सकता है। RBI ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि वह ये नहीं चाहती कि वर्चुअल करेंसीज कुकुरमुत्तों की तरह फैलें, इसलिए उसने बैन लगाया।
RBI बैन के खिलाफ याचिका लगाने वालों का तर्क था कि नॉन-फिएट करेंसी दरअसल कोई करेंसी ही नहीं है। उन्होंने अदालत में कहा कि RBI का फैसला बेहद कड़ा था और उसके पीछे कोई स्टडी नहीं की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने 180 पेज में फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि RBI ने जो निर्देश दिए, उसमें प्रपोर्शनलिटी का खयाल नहीं रखा। केंद्रीय बैंक ने इस फैसले से मूल अधिकारों पर होने वाले डायरेक्ट, इनडायरेक्ट असर को ध्यान में नहीं रखा। अदालत ने यह भी कहा कि भारत की अमेरिका, जापान, सिंगापुर या यूके जैसे देशों से तुलना नहीं हो सकती क्योंकि वे विकसित अर्थव्यवस्थाएं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि “जिस भी अदालत ने वर्चुअल करेंसीज की पहचान तय करने की कोशिश की, उसने जैन धर्म के अनेकतावाद दर्शन में बताए गए 4 अंधे पुरुषों की तरह कार्यवाही की। जो एक हाथी का ब्यौरा देते समय उसके शरीर के बारे में सिर्फ एक बात बता पाते हैं, और कुछ नहीं।”
इस फैसले के बाद क्या?
अब वर्चुअल करेंसीज को लेकर RBI अपनी पॉलिसी में चेंज कर सकता है। हो सकता है एक नया फ्रेमवर्क लाया जाए जो इन टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स से डील करे।