नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के बाद एक और बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है। बैंक ऑफ इंडिया के कानपुर जोन से शिकायत मिलने के बाद सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज करते हुए दिल्ली, मुंबई और कानपुर में कुल 13 स्थानों पर छापा मारा। आरोप है कि फ्रॉस्ट इंटरनेशनल नाम की मुंबई स्थित कंपनी ने 14 बैंकों के कंसोर्टियम को कुल 3592 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया है। फ्रास्ट इंटरनेशनल ने बैंक से मिली कर्ज की सुविधा का लाभ उठाते हुए धन को अपनी ही दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर लिया। कर्ज की अदायगी नहीं होने के कारण 2019 में यह एनपीए में तब्दील हो गया।
सीबीआइ अधिकारी ने कहा कि उन्हें शनिवार को बैंक आफ इंडिया, कानपुर के जोनल मैनेजर की ओर से इस घोटाले की जानकारी मिली और कार्रवाई की मांग की गई। इसके बाद रविवार को आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर मंगलवार को आरोपितों के सभी ठिकानों की तलाशी ली गई। सीबीआइ ने छापे में घोटाले से संबंधित अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है। सीबीआइ अधिकारी के अनुसार बैंक के अनुरोध पर उदय देसाई समेत कंपनी के 10 निदेशकों के खिलाफ लुकआउट सरकरुलर जारी कर दिया गया है, ताकि वे विदेश फरार नहीं हो सकें।