आज जीडीपी के नए आंकडे आ गए । ये आधिकारिक आंकड़ा ऐसे समय में आया है, जब दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रभाव है। इस वायरस की वजह से वैश्विक मंदी जैसे हालात बन गए हैं। इसका असर भारत की इकोनॉमी पर भी पड़ने की आशंका है। लेकिन हुआ उलट। इस तिमाही की GDP 4.7 प्रतिशत है। 4.5 प्रतिशत थी पिछले तिमाही। यानी 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी। Economic Times की मानें तो इस तिमाही के आंकड़ों के बारे में कई जानकारों ने अनुमान लगाया था कि 4.5 आर ही सीमित रहेगी। 2019 के पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.8 परसेंट थी।
Govt of India: GDP at Constant (2011-12) Prices in Q3 of 2019-20 is estimated at Rs 36.65 lakh crore, as against Rs 35.00 lakh crore in Q3 of 2018-19, showing a growth of 4.7%. pic.twitter.com/kB5dvdmcPQ
— ANI (@ANI) February 28, 2020
क्या होती है जीडीपी?
जीडीपी को हिंदी में कहते हैं सकल घरेलू उत्पाद। सकल का मतलब सभी। घरेलू माने घर संबंधी। यहां घर का आशय देश है। उत्पाद का मतलब है उत्पादन। प्रोडक्शन। कुल मिलाकर देश में हो रहा हर तरह का उत्पादन। उत्पादन कहां होता है? कारखानों में, खेतों में। कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया। इस तरह उत्पादन और सेवा क्षेत्र की तरक्की या गिरावट का जो आंकड़ा होता है, उसे जीडीपी कहते हैं।
और आसान तरीके से जानिए
मान लीजिए किसी खेत में एक पेड़ है। पेड़ है, तो बस छाया देता है। पेड़ आम का है, फल देता है तो किसान आम बेचकर पैसे कमाता है। ये पैसा किसान के खाते में जाता है, इसलिए पैसा देश का भी है। अब इस पेड़ को काट दिया जाता है। काटने के बाद पेड़ से जो लकड़ी निकलती है, उसका फर्नीचर बनता है। फर्नीचर का पैसा बनाने वाले के पास जाता है, यह पैसा भी देश का है। अब इस फर्नीचर को बेचने के लिए कोई दुकानवाला खरीदता है। दुकान वाले से कोई आम आदमी खरीद लेता है। आम आदमी पैसा खर्च करता है और दुकानदार के पास पैसा आ जाता है। खड़े पेड़ के कटने के बाद से कुर्सी-मेज बन जाती है, जिसे कोई खरीद लेता है। इसे खरीदने में पैसे खर्च होते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में जो पैसा आता है, वही जीडीपी है।