देश भर के व्यापारियों के संघ CAIT ने ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया। इसके लिए 13 नवंबर से व्यापारियों का आंदोलन शुरु हो रहा है। व्यापारी संघ का आरोप है कि “ई-कॉमर्स कंपनियां देश में ऑनलाइन शॉपिंग के ज़रिए मोनोपली करना चाहती है और जानबूझकर कम बहुत दाम पर सामान बेचने के लिए तरह तरह के लुभावने ऑफर लाती रही हैं, रीटेल बाज़ार के व्यापारिक माहौल खराब कर रही हैं ,इस तरह ये कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कानून के प्रेस नोट -2 का उल्लघंन कर रही हैं।
ये कंपनियां कोई व्यापार नहीं कर रही हैं बल्कि अपने निजी इक्विटी या वेंचर कैपिटलिस्ट निवेशकों के इशारों पर एक वैल्यूएशन खेल में लिप्त हैं। इससे देश में व्यापार कर रहे 7 करोड़ व्यापारियों को बहुत नुकसान हो रहा है। उनकी रोज़ी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है।”
इस बार कंज्यूमर एसोसिएशन मोबाइल मैन्युफैक्चर एसोसिएशन, हॉकर्स एसोसिएशन और ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, किसान और सेल्फ हेल्प ग्रुप के लोग भी व्यापारियों के समर्थन में सड़क पे उतरेंगे।इससे पहले व्यापारी संघ के प्रतिनिधि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के साथ इस मामले पर कई बैठक कर चुके हैं।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ये साफ कर चुके हैं कि किसी भी कंपनी को व्यापार या विदेशी निवेश संबंधित कानून को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। लेकिन व्यापारी इसके बाद भी संतुष्ट नहीं हुए। जिसके बाद से व्यापारी संघ इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सीधे हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के मुताबिक “ये राष्ट्रव्यापी आंदोलन 13 नवंबर, 2019 से शुरू होगा और 10 जनवरी, 2020 तक जारी रहेगा। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन, अल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एल्युमिनियम यूटेंसिल्स मैन्युफैक्चरर्स, ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स मर्चेंट्स एसोसिएशन, टॉयज़ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, ड्रग डीलर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिकल गुड्स एंड अप्लायंस एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ़ हार्डवेयर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन सहित देश के 40 हजार व्यापारी संगठन 27 राज्यों में इस आंदोलन में शामिल होंगे।”
भारत में रीटेल व्यापार 7 करोड़ से अधिक छोटे व्यापारियों द्वारा संचालित किया जाता है, जो लगभग 45 लाख करोड़ रु का सालाना कारोबार करते हैं और अनुमान है कि ये क्षेत्र देश में लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। व्यापारियों की योजना 13 नवम्बर को देश भर में “राष्ट्रीय जागरूकता अभियान दिवस” मनाए की है जिसके बाद सांसदों और मुख्यमंत्रियों के सामने अपनी मांग रखने की है और राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाने की भी है।