भले ही बिहार सरकार विशेष राज्य के दर्जे के लिये केन्द्र सरकार के पास हाथ फैलाएं । उन्हे उलाहना दें । लेकिन हकीकत कुछ और ही है । हकीकत ये है कि बिहार सरकार अपने बजट का 50 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर पाती है ।
बिहार सरकार बजट के आकार को लेकर भले ही अपनी पीठ थपथपाए, लेकिन इसे खर्च करने में सरकार फिसड्डी साबित हो रही है। दरअसल पिछले वर्षों की तरह इस बार भी बिहार सरकार खर्च के मामले में काफी पीछे है। वित्तीय वर्ष पूरा होने को है, लेकिन सरकार जनवरी तक अपने बजट का मात्र 40।48 प्रतिशत ही खर्च कर पाई है। कई विभाग तो खर्च के मामले में दोहरे आंकड़े तक भी नहीं पहुंचा है। योजना विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के गिने-चुने विभागों को छोड़ दें तो अधिकांश विभाग खर्च के मामले में फिसड्डी हैं।
6 जनवरी 2020 तक जिन विभागों ने 20 प्रतिशत से कम राशि खर्च की है।
भवन निर्माण विभाग 63000 6361 10.10 प्रतिशत
उद्योग 71300 986 9.80 प्रतिशत
आपदा प्रबंधन 5329.24 121 2.28 प्रतिशत
खनन 200 0 0 प्रतिशत
लघु जल संसाधन 133852 11538 8.62 प्रतिशत
पर्यटन 27500 2913.05 10.59 प्रतिशत
कानून 50000 5376.47 10.75 प्रतिशत
पशु एवं मतस्य 69295 10211 14.74 प्रतिशत
नगर विकास एवं आवास 356262.60 53001.88 14.88 प्रतिशत
अल्पसंख्यक कल्याण 50000 8285.40 16.57 प्रतिशत
भूमि एवं राजस्व 28772 4815.77 16.74 प्रतिशत
पर्यावरण एवं वन 78870.54 13539.19 17.17 प्रतिशत
एस सी एस टी कल्याण 166518.60 28887.93 17.35 प्रतिशत
इसके अलावा अगर वित्त, गन्ना उद्योग, समाज कल्याण, सूचना जनसंपर्क और योजना एवं विकास विभाग को छोड़ दें तो किसी भी विभाग के खर्च का आंकड़ा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं है।
विपक्ष साध रहा है निशाना
जिस हिसाब से अब तक बिहार सरकार के विभागों ने बजट की राशि खर्च की है उससे साफ जाहिर हो रहा है कि अब अंतिम के दो महीने में ही अधिकतर राशि खर्च की जाएगी यही वजह है कि विपक्ष इसको लेकर सरकार पर हमलावर है।
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि सरकार खर्च करने में सक्षम ही नहीं है। सरकार हर बार अपने बजट के आकार को बढ़ा रही है, लेकिन जब खर्च करने का समय आता है तो ये फिसड्डी हो जाते हैं। ऐसे में जनता के भलाई के लिए जो पैसा आता है वो जमीन पर नहीं उतर पाता है।
वहीं, कांग्रसे ने भी सरकार पर निशाना साधा है कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि सरकार अंत समय तक पैसे इसलिए खर्च नहीं करती है ताकि संगठित तौर पर मार्च लूट कर सके। इस बार भी ऐसा ही होगा जो सरकार 10 महीने में दस प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं कर पाई है। वो सरकार आखिर दो महीने में 90 से 95 प्रतिशत राशि कैसे खर्च करेगी।
सरकार ने 2 लाख 502 करोड़ का रखा था बजट आकार
बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए बजट का आकार 2 लाख 501 करोड़ का रखा था और इतने बड़े बजट के लिए खुद की पीठ भी खुब थपथपाई थी। लेकिन जिस तरह से इस वित्तीय वर्ष में विभागों ने खर्च में कोताही बरती है उससे तो यही लगता है कि जो बजट का आकार सरकार ने रखा है उसे जमीन पर उतारना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी या फिर विपक्ष जिस मार्च लूट की बात कह रहा है वही देखने को मिलेगा।
मंत्री की सफाई
जिस विभाग के पास खर्च का लेखा जोखा रखने की जिम्मेदारी है उस विभाग के मंत्री खर्च के इस हाल पर सफाई देने में लगे हैं। योजना एवं विकास विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी का कहना है कि अभी सभी विभागों की तरफ से जानकारी नहीं आई है, लेकिन सब विभाग खर्च को लेकर गंभीर हैं और मार्च तक विभागों को आवंटित राशि खर्च कर ली जाएगी।