मंदी की मार से सिर्फ भारत ही नहीं पुरा देश जुझ रहा है । ताजा जानकारी के मुताबिक, बिट्रेन की टूर एंड ट्रैवल कंपनी थॉमस कुक दिवालिया हो गई है । कपंनी बहुत दिनों से घाटे में चल रही थी । कंपनी ने भी सभी फ्लाइट और हॉलिडे की बुकिंग रद्द कर दी है। सभी फ्लाइट और हॉलिडे की बुकिंग रद्द करने की जानकारी कंपनी ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट पर शेयर कर बताई।
कंपनी ने करीब 6 लाख ट्रेवलर्स की बुकिंग सोमवार की सुबह कैंसिल कर दी है। इसकी जानकारी कंपनी ने ट्वीट करके दी। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि भारत में ऑपरेट करने वाली थॉमस कूक पर इसका कोई असर नहीं होगा। बिट्रेन की सरकार ने कहा है कि 1।5 लाख बिट्रेन के ग्राहक जो विदेशों में है, उन्हे वापस लाना पहली प्राथमिकता होगी।
We are sorry to announce that Thomas Cook has ceased trading with immediate effect।
This account will not be monitored।
Please visit https://t।co/WWiKkzLYQJ for further advice and information।#ThomasCook pic।twitter।com/Nf1X3jn97x
— Thomas Cook (@ThomasCookUK) September 23, 2019
सिविल एविशन अथॉरिटी ने कहा कि थॉमस कूक की 4 एयरलाइंस जमीन पर आ गई है। 16 देशों में कंपनी के 21 हजार कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। अकेले ब्रिटेन में ही 9000 कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं। कुछ महीने पहले कंपनी ने कहा था कि ब्रेक्जिट के कारण उसकी बुकिंग में मंदी आई जिसके कारण उस पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है।
थॉमस कुक 178 साल पुरानी कंपनी है। इस कंपनी ने 1841 में बिजनेस शुरू किया था। फिलहाल ये कंपनी 16 देशों में कारोबार करती है। कंपनी पर 125 करोड़ पाउंड का कर्ज है। भारत में ऑपरेट करने वाली थॉमस कूक इंडिया पर इसका कोई असर नहीं होगा । दरअसल, थॉमस कुक इंडिया का 77 फीसदी हिस्सा 2012 में कनाडा के ग्रुप फेयरफैक्स फाइनेंशियल होल्डिंग ने खरीद लिया था । तब से थॉमस कुक यूके का थॉमस कुक इंडिया में कोई हिस्सा नहीं है । थॉमस कुक इंडिया ने एक बयान जारी कर कहा है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत है ।
थॉमसकुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर फेंकहौउजर ने कहा, ‘‘यह मेरे और कंपनी बोर्ड के बाकी सदस्यों के लिये गहरे खेद का विषय है कि हम सफल नहीं हो पाये। यह कंपनी के लिये बहुत बुरा दिन है।’’ कंपनी यात्रा संचालक होने के साथ ही एयरलाइन भी चलाती है। दिवालिया होने के साथ ही उसके विमान खड़े हो गये और ट्रैवल एजेंसी बंद हो गई। उसके दुनियाभर में फैले 22,000 कर्मचारी नौकरी गंवा बैठे। इनमें से 9,000 कर्मचारी अकेले ब्रिटेन में हैं।