देश में लॉकडाउन है । परिवहन व्यवस्था पुरी तरीके ठप है । सरकार ने मजदूरों को लेकर कुछ रियायत दी थी । बाहर फंसे लोग ट्रेनों से अपने घर आ सकें इसके लिये कुछ स्पेशल ट्रेने चलाई गई थी । सख्त हिदायत थी कि ट्रेनों को वापसी में सीलबंद कर भेजा जाए । लेकिन बिहार में कल जो हुआ वो चौकाने वाला था ।
हुआ युँ कि लिगंमपल्ली हरियाणा से एक ट्रेन कल बिहार के खगड़िया जक्शन आई । वापसी में इस ट्रेन को सीलबंद होकर जाना था । लेकिन ठेकेदारों और नेताओं की मिली भगत से कल ये ट्रेन वापस मजदूरों को लेकर गई है ।
प्रभात खबर के खगड़िया संस्करण में अंदर के पन्नों पर इस बाबत एक छोटी सी खबर लगी है ।
वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र ने इस बात के तरफ इशारा करते हुए लिखा है कि :
हालात कैसे हैं? इस वक़्त जब देश के कोने कोने से मजदूर घर वापस लौटने के लिये परेशान हैं, इस लॉक डाउन की अवधि में मजदूरों को फिर से बाहर ले जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।
मजदूरों को पलायन के लिये प्रेरित करने वाले ठेकेदार सक्रिय हैं। लॉक डाउन की वजह से गरीबी, कर्ज और दूसरी मुसीबतों में घिरे मजदूर फिर से पलायन करने के लिये मजबूर हो गए हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि रेलवे ने ट्रेन को मजदूरों से भरकर चलाने की इजाजत कैसे दी । क्यों दी । इसके लिये बकायदा टिकट भी काटे गए । प्राप्त सुत्रों से पता चलता है कि इसमें किसी बड़े नेता के हाथ होने की संभावना है, बिना पहुँच के इस तरह ट्रेनों में मजदूरों को नहीं भेजा जा सकता । साथ ही साथ ये भी कहा जा रहा है कि ट्रेन के रूट में भी बदलाव किया गया है ।
लॉकडाउन में जब लोग घर वापसी के लिये इस तरह जद्दोजहद में लगे हैं ऐसे में कोई ट्रेन बिहार से मजदूरों को ढ़ोकर कैसे ले जा सकती है । सवाल बड़ा है ।