लॉकडाउन के चलते पढ़ाई और रिसर्च प्रक्रिया बुरी तरीके से प्रभावित हुई है. ऐसे में स्टूडेंट्स को एकेडमिक नुकसान से बचाने और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए UGC यानी यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी. इस एक्सपर्ट कमेटी के रिकमेंडेशन्स के आधार पर विश्वविद्यालय के के एकेडमिक कैलेंडर और परीक्षाओं के लिए यूजीसी ने ये गाइडलाइन्स जारी किए हैं.
An Expert Committee was set up by @HRDMinistry to assist UGC to address the concerns of university students, regarding academic calendar and examinations.
Following Guidelines on Examinations and Academic Calendar have been approved by @ugc_india today: pic.twitter.com/6gQm2NMtJ1
— Dr Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 29, 2020
एकेडमिक कैलेंडर के लिए-
# ऑनलाइन लर्निंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 1 जून से 15 जून 2020 तक सिलेबस, प्रोजेक्ट वर्क, रिसर्च वर्क, इंटर्नल टेस्ट आदि पूरे कर लिए जाएं.
# विश्वविद्यालय 1 जुलाई से 31 जुलाई तक परीक्षाएं आयोजित करा सकते हैं. सबसे पहले 1 से 15 जुलाई तक फाइनल ईयर/सेमेस्टर के एग्जाम होंगे. इसके बाद 16 जुलाई से 31 जुलाई तक बाकी एग्जाम कराए जाएंगे.
# फाइनल ईयर/सेमेस्टर स्टूडेंट्स के नतीजे 31 जुलाई तक आ जाएंगे. जबकि बाकी के नतीजे 14 अगस्त तक जारी किए जा सकते हैं.
# एकेडमिक सेशन 2020-21 पुराने छात्रों (2nd, 3rd year) के लिए 1 अगस्त 2020 से और नए छात्रों (1st year) के लिए 1 सितंबर 2020 से शुरू किया जा सकता है.
?The universities may conduct Ph.D., M. Phil. and practical examinations and Viva-Voce Examinations through Skype or other meeting apps, and in case of intermediate semesters, the practical examinations may be conducted during the ensuing semesters.
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) April 29, 2020
परीक्षा के लिए
# अपने नियमों, परीक्षा की योजनाओं और सोशल डिस्टेंशिंग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ग्रेजुएशन/मास्टर्स की परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं. विश्वविद्यालय अपने पास उपलब्ध संसाधनों के जरिए ऑनलाइन/ऑफलाइन एग्जाम करवा सकते हैं.
# कम समय में परीक्षा की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय वैकल्पिक और सरल तरीके अपना सकते हैं. परीक्षा के समय को 3 घंटे की बजाय 2 घंटे किया जा सकता है.
# विश्वविद्यालय इस बात को सुनिश्चित करें कि परीक्षा में सभी छात्रों को उचित अवसर मिले. इसलिए विश्वविद्यालय अपनी तैयारी का स्तर, छात्र की आवासीय स्थिति, COVID-19 के फैलाव का आकलन करने के बाद ही परीक्षा आयोजित कराने को लेकर फैसला करें.
# अगर स्थिति सामान्य नहीं दिखाई देती है तो छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंटर्नल टेस्ट के आधार पर 50 प्रतिशत अंक दिए जा सकते हैं. बाकी के 50 प्रतिशत अंक पिछले सेमेस्टर में प्रदर्शन के आधार पर दिए जा सकते हैं.
# जहां पिछले सेमेस्टर के अंक उपलब्ध नहीं हैं (जैसे फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स) वहां इंटर्नल एग्जाम के आधार पर 100 प्रतिशत मूल्यांकन किया जाए.
# अगर किसी स्टूडेंट को लगता है कि उसे कम नंबर मिले हैं तो वह अगले समेस्टर में फिर से एग्जाम देकर अपने नंबर सुधार सकता है.
# लॉकडाउन के दौरान सभी छात्रों को उपस्थित माना जा सकता है.
# रिसर्च प्रोजेक्ट्स में लगे ग्रेजुएशन/मास्टर्स के स्टूडेंट्स को लैब या फील्ड के बजाय डेटा या सॉफ्टवेयर बेस्ड प्रोजेक्ट्स दिए जा सकते हैं.
# यूनिवर्सिटी स्काइप या दूसरे ऐप्स के जरिए वाइवा और प्रैक्टिकल एग्जाम करा सकती है.
# वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएचडी और एमफिल के छात्रों का वाइवा एग्जाम लिया जा सकता है.
# एमफिल या पीएचडी के छात्रों को छह महीने का विस्तार दिया जा सकता है.
# एग्जाम और एकेडमिक गतिविधियों से संबंधित छात्रों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक COVID-19 सेल सभी यूनिवर्सिटी में बनाई जाएगी. यूनिवर्सिटी इसके बारे में छात्रों तक प्रभावी तरीके से सूचना पहुंचाएगी. इसके लिए एक हेल्पलाइन भी जारी किया जाएगा.
Keeping in mind the current #COVID19 crisis, I have asked @DG_NTA to further extend/revise the dates of submission of Online Application Forms for various examinations:
– NCHM JEE2020
– IGNOU Admission Test-2020 for Ph.D. & OPENMAT(MBA)
– ICAR-2020
– JNUEE-2020
– AIAPGET-2020 pic.twitter.com/HjQZ2jhcKR— Dr Ramesh Pokhriyal Nishank (@DrRPNishank) April 30, 2020
ये प्रावधान केवल चालू शैक्षणिक सत्र (2019-20) के लिए COVID-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं.
परीक्षाओं और एकेडमिक कैलेंडर के अलावा भी यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के लिए कुछ गाइडलाइन जारी किए हैं. जैसे-
# विश्वविद्यालय अगर चाहें तो हफ्ते में 5 की जगह 6 दिन क्लास शुरू कर सकते हैं.
# लैब वर्क के रिकॉर्डेड विजुअल्स, वर्चुअल लैब के जरिए प्रैक्टिकल एक्सपेरिमेंट का एक्सपोजर दिया जा सकता है.
# विश्वविद्यालयों को ई-कंटेंट/ई-लैब एक्सपेरिमंट तैयार करना चाहिए और अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करना चाहिए.
# यूनिवर्सिटी स्टाफ को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन टीचिंग टूल्स और वर्चुअल क्लासरूम के उपयोग की ट्रेनिंग देनी चाहिए.
# काउंसलिंग सिस्टम को मजबूत बनाना चाहिए.
यूजीसी का कहना है कि वर्तमान स्थिति और भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए विश्वविद्यालय पारदर्शी तरीके से इन दिशा निर्देशों को अपना सकते हैं. विश्वविद्यालय छात्रों की तैयारी के स्तर, आवासीय स्थिति,उनके नगर/क्षेत्र/राज्य में फैले कोविड-19 महामारी की स्थिति का आंकलन करने के बाद इसमें बदलाव कर सकते हैं.
साभार – दल्लननटॉप