लाॅकडाउन में काेटा में फंसे छात्र शुभम और अभिषेक ने कहा- मम्मी-पापा दुखी न हों इसीलिए झूठ बोल देता हूं कि सब ठीक है, पर कभी-कभी कुछ भी खाने को नहीं मिलता है, तो पानी पीकर ही सो जाता हूं मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने कोटा गए छात्रों का दर्द : दोनों छात्रों ने सरकार अाैर प्रशासन से घर वापसी की लगाई गुहार, कहा- पहले पढ़ाई की चिंता थी पर अब सिर्फ भोजन मिलने की आस ।
कोरोना संक्रमण काे राेकने के लिए देश में लॉकडाउन 3 मई तक के लिए बढ़ाया तो गया हैं। परंतु कोटा में फंसे छात्रों में घर पहुंचने की छटपटाहट देखी जा रही है। ऐसे ही छात्रों से भास्कर की टीम ने संपर्क साधा। शुभम और अभिषेक कोटा में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए गए थे। वहीं दोनों एक साथ ही निजी छात्रावास में रहते हैं। शहर के लालबाग मुहल्ले के अशोक नायक के पुत्र शुभम नायक एवं बेनीपुर निवासी दीपक चौधरी के पुत्र है अभिषेक चौधरी। शुभम के पिता अशोक नायक की मौजूदगी में मोबाइल पर बातचीत कर बच्चों का दर्द जाना।
मम्मी से बात होती है तो कभी-कभी इमोशनल हो जाती है। क्योंकि मैं इस वक्त घर से बाहर हूं। हमारे मन में भी यह चल रहा है कि हमें भी घर जाना है। परंतु न तो बिहार सरकार के तरफ से कोई इंतजामात किया जा रहा है और न ही स्थानीय स्तरों पर कोई सुधी ली जा रही है। दिन प्रतिदिन स्ट्रेस बढ़ते जा रहा है। शुभम के पिता अशोक पास के लिए अनुमंडल पदाधिकारी के पास गए थे। परंतु ऑनलाइन प्रक्रियाओं का हवाला देकर अपनी समस्याओं को बताने तक का भी मौका नहीं दिया। जब वे पास के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में गए तो आवेदन अस्वीकृत हो गया।
छात्र अभिषेक ने बताया कि अंकल घरवाले दुखी न हो तो उनसे झूठ बोल देता हूं कि सब अच्छा चल रहा है। परंतु कभी-कभी कुछ भी खाने को नहीं मिलता तो पानी पीकर ही सो जाता हूं। भगवान से मनाता हूं कि बस किसी तरह घर पहुंच जाउं। कुछ दिनों तक पढ़ाई प्रभावित होने की चिंता सता रही थी। परंतु अब तो सुबह शाम भोजन मिलने की आस रहती है अाैर इससे ज्यादा कुछ सोच-समझ नहीं पा रहा हूं। बात करते-करते शुभम ने सिसकियां भर फोन अभिषेक को थमा दिया। अभिषेक ने बताया कि बाहर से जो खाना आ रहा है वो जब से खा रहा हूं तब से सेहत कमजोर हो गई है।