चीन के वुहान से उत्पन्न हुआ कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल चुका है। इसे रोकने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन कर संक्रमण तोड़ने की कोशिश कर रह है। पर कोरोना के आगे सभी नाकाम हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत में मामला और गंभीर हुआ, तो बड़ी मुश्किलों को सामना करना पड़ेगा। 84000 लोगों के अनुपात में भारत के पास एक आइसोलेशन बेड है, वहीं 36000 लोगों की संख्या पर एक क्वॉरेंटाइन बेड है। इसके अनुपात से हम समझ सकते हैं कि हमारा देश कोरोना से लड़ने के लिए कितना तैयार है।
इसी बीच झारखंड के तीन ऐसे लड़कों की कहानी सामने आई है जिनकी मदद से चाइना कोरोना वायरस से उबर पाया। ये तीनों लड़को ने चीन को सपोर्ट सिस्टम दिया था। जिसकी वजह से चीन दस दिन में मरीजों के लिए कई हजार बेड का अस्पताल खोल पाया। रांची के रहने वाले नितिन (32) और हर्षवर्धन (33) बचपन के दोस्त है। नितिन ने अपनी 12वीं की पढ़ाई केन्द्रीय विद्यालय हिनू तो हर्षवर्धन ने गुरूनानक से पूरी की है। इन्होंने भुवनेश्वर के एक कॉलेज से अपना इंजीनियरिंग पूरा किया। इसी दौरान इनकी मुलाकात तीसरे पार्टनर धीरज (32) से हुई, वे भी झारखंड के ही रहने वाले हैं।
तीनों पार्टनर ने मिलकर एक कंपनी इट्रिक्स टेक्नॉलाजी खोली। यह एक कंसल्टींग कंपनी थी। जो ग्राहकों को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सर्विस दिया करती थी। इस दौरान एक जर्मन ग्राहक से इनकी मुलाकात हुई और वो जोसेफ इनका पार्टनर बन गया। इन्होंने एक प्रोडक्ट डिजाइन किया “ब्लिंकिंग”। और अभी ये ब्लिंकिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाते हैं। ब्लिंकिग प्राइवेट लिमिटेड अपने ग्राहकों के लिए साफ्टवेयर डेवलप्मेंट का काम करती थी।
कैसे जुड़े चीन से
कोरोना के कहर को देखते हुए चीन ने दस दिन में एक अस्पताल तैयार कर लिया था। चीन ने कई हजार बेड का एक अस्पताल का निर्माण करवाया तो इसमें मेडिकल से जुड़ी मशीनें भी लगाई गई। नितिन ने बताया कि चीन ने वेंटीलेटर समेत अन्य मशीनों के इंस्टॉलेशन के लिए टेंडर जारी किया था, जो एक जर्मन कंपनी ‘ह्यूबर रैनर’ को मिला। बाद में उस जर्मन कंपनी ने ब्लिंकिंग की मदद से, बिना वहां गए मशीनों के इंस्टॉलेशन का काम किया। उनकी कंपनी ने करीब 60-70 एयर कंडीशनर यूनिट के अलावा कई मेडिकल इक्विपमेंट को इंस्टॉल किया था। तो इस तरह से नितिन ने कोरोना से लड़ने में चीन की मदद की।अब नितिन भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ने में वे अपना सहयोग देना चाहते है।