पूरा देश इस वक़्त कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन इसी लड़ाई के बीच कई लोग ऐसे भी है जो भूख से अपनी ज़िदंगी की लड़ाई रोज़ लड़ भी रहे है और कुछ इसमें हार भी जा रहे है क्योंकि कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बिना किसी तैयारी व योजना के अचानक लॉकडाउन कर देने के दुखद परिणाम अब सामने आने लगे हैं।
लॉकडाउन के चलते काम बंद होने से सूबे की राजधानी पटना से महज 60 किलोमीटर दूर भोजपुर जिले के आरा शहर के जवाहर टोले की मलिन बस्ती में रहने वाले आठ वर्षीय राकेश की कथित तौर पर भूख से मौत हो गई।
महादलित समुदाय (मुसहर) से आने वाला राकेश मुसहर कबाड़ चुनकर बाजार में बेचता था। घटना बिहार के भोजपुर ज़िले के आरा की है। मुसहर समुदाय से आने वाले आठ वर्षीय राकेश की मौत 26 मार्च को हो गई थी। उनकी मां का कहना है कि लॉकडाउन के चलते काम उनके पति का मजदूरी का काम बंद था, जिसके चलते 24 मार्च के बाद उनके घर खाना नहीं बना था।
राकेश की मां सोनामती देवी ने बताया, ‘जब से बंदी शुरू हुआ था, तब से घर में खाना नहीं बन रहा था। राकेश की तबीयत भी खराब थी। जिस दिन से कर्फ्यू शुरू हुआ था, उसी रात उसने थोड़ी रोटी खाई थी। इसके बाद घर में खाना नहीं बनता था। खाना तब न बनाते, जब घर में अनाज होता।’ आपको बता दे कि दोनों की रोजाना की कमाई 200 से 250 रुपये थी। ‘इसी पैसे से खाने का सामान आता आता था। कर्फ्यू के कारण काम बंद हुआ, तो दुकानदारों ने उधार सामान देना भी बंद कर दिया था।
उसकी मां के मुताबिक़, राकेश को बुखार था और दस्त भी हुए थे। 26 मार्च को ही उसे सदर अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे एक सिरप और टेबलेट लिखकर दिए।
सोनामती देवी ने बताया, ‘हमारे पास दवाई का भी पैसा नहीं था, तो पड़ोसी से कुछ पैसा उधार लिया और दवाई ले आई। लेकिन, दवा खिलाने से पहले ही उसकी मौत हो गई।’
राकेश की बुआ सुनीता देवी ने भी इस बात की तस्दीक की कि कर्फ्यू शुरू होने के बाद से ही राकेश के घर में खाना नहीं बन रहा था।
The Wire से इनपुट के साथ