महागठबंधन में मांझी और तेजस्वी यादव के बीच इन दिनों शीतल युद्ध जारी है। कभी मुख्यमंत्री के चेहरे तो कभी को-ऑर्डिनेशन कमिटी की मांग को लेकर मांझी लगातार आरजेडी (RJD) पर दबाव बनाने में लगे हैं। मांझी को गठबंधन के दूसरे सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी का भी साथ मिल रहा है। ऐसे में खुद पर दवाब बढ़ता देख अब आरजेडी ने भी अपने तेवर बदल लिए हैं। इस बीच मांझी-कुशवाहा से निपटने के लिए आरजेडी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नया प्लान तैयार किया है जिससे मांझी-कुशवाहा पर दवाब बनाया जा सके।
आरजेडी का प्लान B क्या है, और इसके पीछे लालू यादव की कौन सी स्ट्रेटजी है? दरअसल आरजेडी ने अब ये मन बना लिया है कि वो जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के रोज-रोज के प्रेशर पॉलिटिक्स को अब बर्दाश्त भी करने को तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि कुशवाहा को रोकने के लिए आरजेडी इस बार करीब 10 से 15 कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट देने वाली है। उसी तरह से मांझी के खिलाफ भी बड़ी गोलबंदी है उनके मुसहर समाज से भी कई उम्मीदवारों को आरजेडी के सिंबल से इस बार चुनाव लड़ाने की तैयारी है।
हालांकि आरजेडी भी खुलकर प्लान B के बारे में बताने में हिचक रहे हैं, लेकिन उनके तेवर से उनकी रणनीति का अंदाजा लगाना आसान है। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हमारी पार्टी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास सूबे में सबसे बड़ा जनाधार है। ऐसे में विरोधी तो विरोधी अगर सहयोगियों को भी कोई गलतफहमी है तो उसे दूर कर लें। क्योंकि आरजेडी अब किसी के दबाव बर्दाश्त नहीं करेगी।
आरजेडी ने कर लिया नफा-नुकसान का आकलन!
जब से मांझी ने सीएम नीतीश कुमार से बंद कमरे में मुलाकात की है, मांझी ने आरजेडी के खिलाफ बड़ी गोलबंदी भी शुरू कर दी है। आरजेडी को छोड़कर महागठबंधन के बाकी सहयोगियों को एकजुट भी कर लिया है। चूंकि मांझी महादलित के बड़े चेहरे हैं जाहिर है चुनाव के समय में दोनों ही खेमे में उनकी उपयोगिता ज्यादा है। बावजूद इसके आरजेडी ने यह तय कर लिया है कि जो भी नफा-नुकसान हो लेकिन पार्टी अपने स्वाभिमान से अब कोई समझौता नहीं करनेवाली है।
अब सवाल मांझी की राजनीतिक सेहत को लेकर है
जाहिर है जब गठबंधन के भीतर ही इस तरह से आपस में दिखने-दिखाने की बात होगी तो विरोधियों को बोलने का मौका तो मिलेगा ही। बहरहाल अब सवाल यह है कि आरजेडी के इस प्लान B से मांझी और कुशवाहा के सेहत पर कितना असर पड़नेवाला?
महागठबंधन में मतभेद से एनडीए खुश
उधर महागठबंधन के भीतर हो रहे इस किचकिच को लेकर एनडीए में शामिल दलों की बांछें खिली हुई हैं। जेडीयू के नेता और मंत्री अशोक चौधरी और मंत्री नंदकिशोर यादव इसपर तंज कसते हुए कहते हैं कि महागठबंधन दरअसल कुछ स्वार्थियों का बंधन है जो अपने -अपने स्वार्थ के खातिर गठबंधन में दिखाने के लिए एकसाथ तो हैं लेकिन हकीकत ये है कि अंदर ही अंदर गठबंधन में सिरफुटौव्वल चल रहा है।