जेएनयू छात्र संघ चुनाव में आइसा, एसएफआई, एआईएसएफ, डीएसएफ के संयुक्त उम्मीदवारों ने सभी चार पदों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पर जीत दर्ज की है। सभी सीटों पर पिछले साल की तरह एबीवीपी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। अध्यक्ष पद पर आइशी घोष ने मनीष जांगिड़ को 1185 वोट से हराया। सबसे बड़ी जीत उपाध्यक्ष साकेत मून ने हासिल की।
उन्होंने श्रुति अग्निहोत्री को 2030 वोट से हराया। जबकि योगी के नाम से मशहूर निर्दलीय प्रत्याशी राघवेंद्र मिश्रा को अध्यक्ष पद पर सबसे कम सिर्फ 53 वोट मिले हैं। अध्यक्ष पद पर बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स असोसिएशन (बापसा) के जीतेंद्र सुना को 1,121 वोट व राजद की प्रियंका भारती को 156 वोट मिले।
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में मतदान 6 सितंबर को हुअा था जिसके परिणाम पर उसी दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसी वजह से जेएनयू चुनाव समिति ने मतगणना करने के बावजूद परिणम की घोषणा नहीं की थी लेकिन ट्रेंड से मालूम हो गया था कि लेफ्ट के प्रत्याशी ही सभी पदों पर जीतेंगे। मंगलवार दोपहर को कोर्ट ने रोक हटा दी। इसके बाद छात्र संघ के नतीजे घोषित किए गए। जेएनयू छात्र संघ में अध्यक्ष पद पर 6, उपाध्यक्ष व महासचिव पद पर तीन-तीन व संयुक्त सचिव पद पर दो प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था।
महासचिव पद पर सतीश चंद्र यादव ने एबीवीपी प्रत्याशी सबरीश पीए को हराया। सतीश को 2518 वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहे सबरीश को 1355 वोट मिले। तीसरे नंबर पर रहे वसीम आरएस को 1232 वोट मिले। संयुक्त सचिव पद पर मोहम्मद दानिश 3295 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे मनीष कुमार साहू को 1508 वोट मिले। आईशी से पहले 2017-18 में गीता कुमारी जेएनयू में महिला अध्यक्ष बनी थीं। उन्होंने एबीवीपी की निधि त्रिपाठी को हराया था।
एनएसयूआई: 771 वोट – एनएसयूआई इस साल सिर्फ अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ी। उसके प्रत्याशी प्रशांत कुमार को 771 वोट मिले जो किसी भी एक सीट के प्रत्याशी को मिले नोटा की संख्या से अधिक है।
5,728 छात्रों ने किया मतदान संयुक्त सचिव पद पर सबसे ज्यादा नोटा : जेएनयू छात्र संघ चुनाव में 5,728 छात्रों ने मतदान किया। जिसमें अध्यक्ष पद पर नोटा के 115, उपाध्यक्ष पद पर 558, महासचिव पद पर 520 व संयुक्त सचिव प्रत्याशियों को वोट करने की जगह सबसे अधिक 734 छात्रों ने नोटा को वोट किया। सभी पदों को जोड़ लें तो 1,927 छात्रों ने नोटा को चुना।