ख़बर ये है कि शाहरुख एक सच्ची घटना पर आधारित मूवी प्रोड्यूस करने जा रहे हैं। ये सत्य घटना ‘मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम रेप केस’ नाम से जानी जाती है।
इसे पुलकित डायरेक्ट करेंगे। पुलकित नाम से आप कनफ़्यूज न हो जाएं, इसलिए बता देते हैं कि ये ‘फुकरे’ फ़ेम एक्टर पुलकित सम्राट नहीं, वेब सीरीज़, ‘बोस: डेड/अलाइव’ के निर्देशक पुलकित हैं। इसके अलावा इन्होंने एक मूवी भी डायरेक्ट की है। ‘मरून’ नाम से। पुलकित ने ही इस अनाम मूवी की स्क्रिप्ट भी लिखी है।
कब क्या हुआ?
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में बच्चियों का यौन शोषण हुआ है, ये खबर सामने आने के बाद FIR दर्ज हुई। मुजफ्फरपुर के बाल संरक्षण के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा के आवेदन पर महिला थाने में 31 मई 2018 को केस दर्ज किया गया।
बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति के संचालक ब्रजेश ठाकुर और विनीत के साथ ही संस्था के कर्मचारियों और अधिकारियों पर यौन शोषण, आपराधिक षड्यंत्र और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया गया। पूरे मामले की जांच महिला थाने की थानेदार ज्योति कुमारी को सौंप दी गई।
मुजफ्फरपुर में शुरू हुई जांच। और इसके बाद धीरे-धीरे मामले के तार राज्य सरकार के अधिकारियों और नेताओं तक चले गए।
जांच शुरू हो गई। पुलिस अधिकारी महिला थानाध्यक्ष के साथ सेवा संकल्प एवं विकास समिति पहुंचे और जांच शुरू कर दी। मामले की जानकारी मुजफ्फरपुर के समाज कल्याण विभाग के निदेशक दिलीप वर्मा को भी भी दे दी गई। वहीं केस दर्ज होने से ठीक एक दिन पहले 30 मई 2018 को ही समाज कल्याण विभाग के हस्तक्षेप के बाद बालिका गृह की 87 बच्चियों में से 44 बच्चियों को दूसरी जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया। इनमें से 14 लड़कियों को मधुबनी, 14 को मोकामा और 16 लड़कियों को पटना जिले में ट्रांसफर कर दिया गया।
राज्य सरकार ने 2 जून को मामले की जांच के लिए SIT बना दी। बालिका गृह में छापेमारी की। बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर और विनीत के साथ ही वहां की आठ महिलाओं को थाने ले जाकर पूछताछ की गयी। डीएसपी मुकुल रंजन और महिला थानेदार ज्योति कुमारी साहू रोड स्थित सेवा संकल्प के ऑफिस पहुंचे। वहां से विजिटर रजिस्टर, स्टाफ रजिस्टर, एक कैसेट और कई कागजात अपने कब्जे में ले लिया।
इसी दिन बालिका गृह पर ताला भी लगा दिया गया। 3 जून को पुलिस ने बालिका गृह के संरक्षक ब्रजेश ठाकुर के साथ ही वहां काम कर रही किरण कुमारी, चंदा कुमारी, मंजू देवी, इंदु कुमारी, हेमा मसीह, मीनू देवी और नेहा को गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान महिला आयोग ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया। आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने बालिका गृह का मुआयना किया। कहा कि यहां की व्यवस्था जेल से भी बदतर है।
बच्चों के बयान और बलात्कार की पुष्टि
शेल्टर होम में जांच में अभी तक कोई पुख्ता बात सामने नहीं आई थी। लग रहा था कि कुछ गड़बड़ी है। यौन शोषण की बात हो रही थी। फिर बात की गयी बच्चियों से। शेल्टर होम की बच्चियों ने बताया कि उनका न सिर्फ यौन शोषण हुआ था, बल्कि 29 बच्चियों से बलात्कार हुआ था। आरोप ये भी लगा कि एक बच्ची का बलात्कार किया गया, फिर बच्ची की हत्या कर दी गयी। लाश को दफना दिया गया।
तीन बच्चियों के गर्भवती हो जाने की भी खबर आई। बात ये भी कि लड़कियों को कई नेताओं और अफसरों तक जिस्मफरोशी के लिए सप्लाई किया जाता था। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सात साल से लेकर 14 साल तक की बच्चियों से रेप हुआ है। मेडिकल में भी इस बात की पुष्टि हुई है।
25 जून को कोर्ट में धारा 164 के तहत दिए गए बयान में बच्चियों ने बताया कि उन्हें सबसे पहले पॉर्न फिल्म दिखाया जाता था। उसके बाद यहां काम करने वाली मधु उन्हें नशे का इंजेक्शन देती थी। इंजेक्शन दिए जाने के बाद एक आदमी उन्हें संरक्षण गृह के बगीचे में ले जाता था, जहां उनके साथ गलत काम होता था।
उन्होंने कहा कि संरक्षण गृह में काम करने वाली महिलाएं भी बच्चियों के साथ गलत काम करती थीं। कोर्ट में दिए गए बयान के मुताबिक़, लड़कियों के लिए सबसे भयानक दिन मंगलवार का होता था। ये वो दिन होता था, जब लड़कियों को काउंसलिंग के लिए बाजार ले जाया जाता था। नाम होता था ‘काउंसलिंग’, लेकिन बच्चियों को बाहर ‘सप्लाई’ किया जाता था। आरोप है कि एक लड़की ने विरोध किया, तो उसकी पिटाई की गयी। इतनी पिटाई की लड़की की मौत हो गयी।
बयान के बाद लड़कियों की पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में मेडिकल जांच कराई गयी। जांच में पता चला कि 29 बच्चियां रेप का शिकार हैं। तीन गर्भवती हैं।
फिर सामने आए आरोपी
बच्चियों ने फोटो से आरोपियों की शिनाख्त की। सबसे पहले नाम आया ब्रजेश ठाकुर का। संरक्षण गृह चलाते थे। उसके बाद बाल कल्याण समिति के सदस्य विकास कुमार। इसके बाद बाल संरक्षण के एक और अधिकारी रवि रोशन के भी शामिल होने के बाद आई। इसके बाद पता चला कि मुजफ्फरपुर के बाल संरक्षण के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा को मामले की पूरी जानकारी थी। और मामले में शामिल होने की भी बात आई।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस का मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर।
लेकिन अभी पुलिस के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसकना बचा था। पुलिस को पता चला कि इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर नहीं था, बल्कि मुजफ्फरपुर के समाज कल्याण विभाग के निदेशक दिलीप वर्मा ही था। वही दिलीप वर्मा, जिसे जांच शुरू करते समय सबसे पहले जानकारी दी गयी थी।
बहुत दिनों तक पुलिस दिलीप वर्मा को गिरफ्तार करने में असफल रही। आखिरकार अक्टूबर 2018 को बिहार पुलिस ने दिलीप वर्मा को उनके आवास से गिरफ्तार किया। कुछ दिनों के भीतर पुलिस ने ब्रजेश ठाकुर की सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया। और मामले में बने कुल 11 आरोपी।
# क्या था मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम रेप केस
बालिका गृह में उन बच्चियों को रखा जाता है, जिनके साथ कोई अपराध हुआ होता है या फिर जो अपराध में शामिल होती हैं। यहां बच्चियों को शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की सुविधा मुहैया करवाई जाती है।
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में भी ऐसी ही बच्चियों को रखा गया था, जिनकी उम्र सात साल से चौदह साल के बीच थी। इस बालिका गृह का संरक्षक ब्रजेश ठाकुर था।
11 फरवरी, 2020 को ब्रजेश ठाकुर सहित 19 दोषियों को सजा सुनाई थी। एडिशनल सेशन जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।