जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ-सबका विकास’ की बात करते हैं तो विपक्ष ‘दलितों पर अत्याचार’ और ‘मुस्लिमों की लिंचिंग’ की फर्जी बातें कर जनता को बरगलाना चाहता है। सीएए, एनआरसी का विरोध करते हुए कहता है कि मोदी सरकार मुसलमानों को भगाना चाहती है। फिर ईरान जैसे मुस्लिम मुल्क से जहाज में भरकर लाए जा रहे लोग कौन हैं? ये सवाल हमारा नहीं है। ये सवाल कोरोना प्रभावित ईरान से भारतीयों को निकालने की तस्वीर सामने आने के बाद लोग पूछ रहे।
भारत सरकार ने ईरान में फँसे 234 नागरिकों को वहाँ से सफलतापूर्वक निकाला है। ये भारतीय हैं। इन्हें मुसीबत से निकालना सरकार की जिम्मेदारी है। यकीनन, इन्हें निकालते वक्त इनसे इनका मजहब नहीं पूछा गया होगा। जैसा कि पीएम मोदी कहते भी हैं कि उज्ज्वला योजना का लाभ देते समय उनकी सरकार किसी से नहीं पूछती कि वो हिन्दू है या मुस्लिम।
ईरान से निकाले गए सभी लोगों की एक पहचान थी- भारतीय। लेकिन, विपक्षी दलों को ये बताना ज़रूरी है कि इनमें से अधिकतर मुसलमान थे। शुक्रवार (मार्च 13, 2020) को ईरान से भारतीय नागरिकों का तीसरा जत्था आया, जिसमें 44 लोग थे। इसके लिए ईरानी फ्लाइट सेवा महन एयरलाइंस की सर्विस ली गई। ईरान में 13,000 से भी अधिक कोरोना वायरस के मामले आ चुके हैं और ये उन देशों में शामिल है, जहाँ इस संक्रमण के खतरे सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में वहाँ से अपने लोगों को निकाल कर लाना अति-आवश्यक था। इससे पहले वुहान में फँसे कश्मीरी छात्रों को वापस लाया गया था।
वापस आए लोगों ने भारत सरकार का धन्यवाद किया कि उसने इतने मुश्किल समय में अपने नागरिकों का ध्यान रखा। फ्लाइट के भीतर की कुछ तस्वीरें भी सामने आईं, जिनमें सभी लोग काफ़ी ख़ुश नज़र आ रहे हैं। यहाँ एक बार बताना आवश्यक है कि जिन 234 लोगों को वापस लाया गया, उनमें से 103 ऐसे थे जो मजहबी यात्रा पर ईरान गए थे। अन्य 131 छात्र हैं, जो ईरान में पढ़ाई कर रहे थे।
केवल इतना ही नहीं, भारत सरकार ईरान में एक मेडिकल कैम्प सेटअप कर वहाँ रह रहे भारतीयों का मेडिकल टेस्ट कराने की योजना पर काम कर रही है। फिर उनके टेस्ट सैम्पल्स भारत भेजा जाएगा। ईरान में 100 से भी अधिक लोगों के इस वायरस के संक्रमण से मरने की ख़बर है, ऐसे में वहाँ रह रहे भारतीयों ने वापस अपने वतन आकर कितने राहत की साँस ली होगी, आप ही सोच लीजिए। आशंका जताई गई है कि अभी भी 6000 भारतीय नागरिक विभिन्न देशों में फँसे हुए हैं, जिन्हें वापस लाने के लिए सरकार प्रयासरत है।
‘एबीपी न्यूज़’ के शो ‘नमस्ते भारत’ के एंकर विकास भदौरिया ने मीडिया व लिबरलों के गिरोह विशेष पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार मुसलमानों को निकाल नहीं रही है, बल्कि उन्हें हवाई जहाजों में भर-भर कर वापस भारत ला रही है। उनका इशारा विपक्षी दलों और लिबरलों के उस आरोप की ओर था, जिसमें वो कहते हैं कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के माध्यम से मोदी सरकार मुसलमानों को देश से बाहर करने की योजना पर काम कर रही है। भदौरिया ने कहा कि सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करने वाले लोग शाहीन बाग़ से अपना धंधा चला रहे हैं, जिन्हें अपनी आँखें खोलने की ज़रूरत है।
ये तस्वीर ईरान से वापस लाये जा रहे भारतीयों की है और ये #CAA_NRC_Protests वाले कह रहे हैं कि मोदी, मुसलमानों को देश से निकलना चाहता है, अगर निकलना होता तो दुनिया भर से मुसलमानों को हवाई जहाज में भर-भर कर वापस क्यों लाते मोदी, अभी भी आंखे खोल लो #ShaheenaBagh से धंधा चलाने वालो ! https://t.co/lPwZe72sdc
— Vikas Bhadauria (ABP News) (@vikasbhaABP) March 15, 2020
चीन से 800 भारतीय नागरिकों को बचा कर भारत लाया गया है, क्योंकि इस वायरस के संक्रमण की शुरुआत वहीं से हुई और वहाँ स्थिति और भी ख़राब है। हालाँकि, स्वरा भास्कर और अनुराग कश्यप गैंग के फ़िल्मी लोगों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, क्योंकि शायद इससे उनका प्रोपेगेंडा बेनकाब हो जाएगा। भारत न सिर्फ़ अपने नागरिकों बल्कि दुनिया भर के कई देशों की मदद कर रहा है। तभी जो जिस ईरान ने दिल्ली में हुए दंगों को लेकर मोदी सरकार को भला-बुरा कहा था, वहीं का राष्ट्रपति पीएम मोदी को पत्र लिख कर कोरोना वायरस से बचने के लिए मदद माँग रहा है। हसन रोहानी ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण हो रही दिक्कतों का रोना रोया है।
इसी तरह यमन में भी जब भारतीय फँस गए थे, तब केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने ख़ुद वहाँ जाकर सारी तैयारी की थी और वहाँ से भारतीय नागरिकों को वापस लेकर आए थे। इसके बाद 2 दर्जन से भी अधिक देशों ने अपने-अपने नागरिकों को सुरक्षित वहाँ से बाहर निकालने के लिए भारत की मदद ली थी। खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय मुस्लिम कामगार जाते हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार ने उनसे भी उनका मजहब नहीं, बल्कि सिर्फ़ नागरिकता पूछी। वही नागरिकता, जिसके लिए कागज़ दिखाने होते हैं। ‘कागज़ नहीं दिखाएँगे’ वाले गैंग के लोग तो सो रहे होंगे अपने घरों में, एसी ऑन कर। उन्हें क्या फर्क पड़ता है कि कोरोना से कौन कहाँ फँसा हुआ है। फर्क उसे पड़ता है और काम करने में वो लगा हुआ है, जिस पर आरोप लगते हैं कि वो मुसलमानों को मार रहा है।