बिहार बीजेपी के एमएलसी से बीपीएससी के मेंबर बने राम किशोर सिंह पर पटना में एफआईआर दर्ज हुई है । उनपर बिहार में डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी का पद 25 लाख में बेचने का आरोप लगा है । आरोप है कि बीपीएससी के डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी के पद के बहाली में साक्षात्कार में नंबर दिलाने के एवज में 25 लाख रूपये की मांग की है ।
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) में पहली बार किसी सदस्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाते हुए निगरानी ब्यूरो ने एफआइआर दर्ज की है ।
सदस्य रामकिशोर सिंह पर बीपीएससी की 56वीं से 58वीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा में एक उम्मीदवार से इंटरव्यू में पास कराने के लिए 30 लाख रुपये मांगने का आरोप है । उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिरोध अधिनियम की धारा 13 (1-डी), 7, 8, आइपीसी की धारा- 120 (बी) समेत अन्य धाराओं में निगरानी ब्यूरो ने सोमवार को एफआइआर दर्ज की है. यह केस मधुकर कुमार की विशेष अदालत में दर्ज किया गया है ।
उनके साथ उनके सहयोगी परमेश्वर राय को भी समान रूप से दोषी पाते हुए अभियुक्त बनाया गया है. सूचना के अनुसार, सदस्य रामकिशोर सिंह ने शनिवार को ही बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है । जून, 2020 में उनका कार्यकाल समाप्त होने वाला था । भाजपा कोटे से विधान पार्षद रहे श्री सिंह को जून 2014 में आयोग का सदस्य बनाया गया था. सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है ।
परंतु आरोप लगने के कारण उन्हें बीच में ही इसे छोड़ना पड़ गया । पाटलिपुत्र विवि में प्रोफेसर रामकिशोर सिंह की आवाज के नमूने की जांच चंडीगढ़ स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब में करायी गयी थी । इसके सही पाये जाने और फोन में हुई उनकी बातचीत से इसके मैच करने के बाद ही निगरानी ने इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की है ।
2014 में निकला था विज्ञापन
56वीं से 58वीं बीपीएससी संयुक्त प्रवेश परीक्षा का विज्ञापन 2014 में निकाला गया था । उनके खिलाफ शिकायत आयी कि वो लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद अरवल के एक उम्मीदवार को इंटरव्यू में पास कराने के लिए अपने सहयोगी की मदद से 30 लाख रुपये की डिमांड कर रहे थे ।
इस मामले की शिकायत संबंधित उम्मीदवार ने निगरानी ब्यूरो में 2015 में ही की थी । इसके बाद घूसखोरी के इस हाइ-प्रोफाइल केस की जांच के लिए निगरानी की विशेष टीम का गठन किया गया । इस टीम ने पहले उन पर लगे आरोप की क्रॉस चेकिंग की, इसमें सही पाये जाने के बाद आगे की जांच शुरू की गयी ।
आवाज का नमूना बना जांच का आधार
निगरानी ब्यूरो को संबंधित कैंडिडेट ने सदस्य रामकिशोर सिंह और उनके सहयोगी से मोबाइल पर बातचीत का नमूना भी पेश किया । इसके बाद एक बार निगरानी ने भी इन दोनों की बातचीत को रिकॉर्ड किया ।
इस सैंपल के आधार पर सदस्य से पूछताछ भी की गयी, लेकिन उन्होंने इसे अपनी आवाज मानने से इन्कार कर दिया. इसके बाद निगरानी ने उनकी आवाज का सैंपल लिया और उसकी क्रॉस मैचिंग फॉरेंसिक लैब में करायी गयी, जिसमें यह साबित हो गया कि यह आवाज सदस्य की ही है. इसके बाद मामला दर्ज किया गया है.
जांच में मामला सही पाये जाने के बाद रामकिशोर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की गयी है. –शंकर झा, डीआइजी विजिलेंस