बाबरी मस्जिद विवाद अब ताजमहल और कुतुबमिनार पर आकर अटक गई है । राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई मंगलवार को 25वें दिन भी सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष जारी है । मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत करते हुए विवादित स्थल से मिले खंभों पर पाए गए निशान का जिक्र करते हुए दलील दी कि सिर्फ इस वजह से यह साबित नहीं हो सकता की वह इस्लामिक नहीं है ।
धवन ने कहा कि तर्क यह है कि चूंकि कमल कसौटी के खंभों पर है, क्या इसकी वजह से वह इस्लामिक नहीं है ? सिर्फ इसलिए कि केरल में एक मंदिर के पास एक क्रॉस है । उन्होंने कहा मस्जिदें केवल मुसलमानों द्वारा ही नहीं बनाई गई थीं । ताजमहल का निर्माण अकेले मुसलमानों ने नहीं किया था । इसमें मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदाय के मजदूर शामिल थे ।
जस्टिस भूषण ने कहा स्तंभ पर द्वारपाल की छवि
धवन ने कहा, ‘सवाल यह है कि ये पिलर कौन से हैं । ईश्वर की छवि का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है । उन्हें (हिन्दूल पक्षकार) वह दिखाना होगा…यह कसौटी कहां से आई और इन्हें किसने लाया?’ धवन की इस दलील पर जस्टिस अशोक भूषण ने याद दिलाया कि सिंह द्वार के स्तंभ पर एक द्वारपाल की छवि पाई गई थी। जस्टिस भूषण ने कहा कि वर्ष 1528 में एक पिलर को जय-विजय का द्वार बताया गया है । वे पिलर फोटोग्राफ में हैं, आप इसे कैसे देखते है ? इस पर राजीव धवन ने कहा कि वह फोटो देखने के बाद इसके बारे में बताएंगे ।
धवन ने कहा- खंभे मंदिर के थे ये अलग तथ्य है
जस्टिस भूषण ने कहा कि हिंदुओं का कहना है कि ये मंदिर के खंभे थे । धवन ने कहा खंभे मंदिर के थे ये अलग तथ्य हैं । इसपर हम अलग से बहस करेंगे । इस पर जस्टिस भूषण ने पूछा इन खंभों के बारे में हाईकोर्ट में क्या बहस हुई यह बताइये । जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा इन पिलर्स पर जो चित्र और आकृतियां बनी हुई हैं, उसपर हिन्दू अपनी आस्था साबित कर रहे हैं । इसके जवाब में धवन ने कहा इसका मतलब यह नहीं कि ये लोग (मुस्लिम समुदाय) लेकर आए थे । खंभे जो भी लगे थे हमने लगाए थे । खंभे पर भगवान के चित्र नहीं हैं । कमल और आकृतियां हैं जो वास्तुशिल्प हैं । इस पर जस्टिस बोबडे ने पूछा कोई ऐसा साक्ष्य है, जिसमें ऐसी मूर्तियां मस्जिदों में बनी हैं । इस पर राजीव धवन ने कुतुबमीनार का उदाहरण दिया, लेकिन निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि कुतुबमीनार में जैन मंदिर था । वो जैन मूर्ति है । इस पर जस्टिस बोबडे ने कहा कि हम इस केस की बात कह रहे हैं ।