डानी मूल की अमेरिकी फैशन मॉडल न्याकिम गेटवेक को गोरा दिखना पसंद नहीं। गहरे काले रंग के कारण लोग उन्हें ‘क्वीन ऑफ डार्कनेस’ कहते हैं। उसे अपनी डार्क स्किन टोन पर गर्व है। खुद को काला कहने में शर्म नहीं आती।। ब्लीच करना जरूरी नहीं समझती। नस्लीय तानें भी खूब झेलें लेकिन न तो अपनी सोच बदली और न इरादे। मॉडलिंग की दुनिया में यही काला रंग उनकी खूबसूरती को बयां कर रहा है।
ऐसे बनीं ‘क्वीन ऑफ डार्कनेस‘
‘क्वीन ऑफ डार्कनेस’ का तमगा मुझे मेरे फैंस ने कब दिया ये तो मुझे भी नहीं पता। फैंस ट्विटर पर इस नाम की पोस्ट के साथ मेरे तस्वीर डालते थे। इंस्टाग्राम पर मुझे ‘क्वीन किम’ के नाम जाना गया। मैं उनकी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे यह सम्मान दिया। जिसकी शुरुआत इंस्टाग्राम से हुई। जगह सूडान थी और अप्रैल का महीना था। मैं बेरोजगार थी। मैंने अपने कुछ दोस्तों के साथ इंस्टाग्राम पर मस्ती करती हुई तस्वीर पोस्ट करती थी। इस दौरान मुझे एक इंटरव्यू के लिए कहीं पहुंचना था तो मैंने उबर कैब बुक की और ड्राइवर को कॉल किया। मौके पर ड्राइवर पहुंचा। जब उसने मुझे देखा तो उसके हावभाव ऐसे थे मानो वह पहली बार ऐसा कोई इंसान देख रहा था। मैं कार में बैठी, तो उसने बातचीत शुरू कर दी।
ड्राइवर बोला, तुम कहां से हो?
मैंने जवाब दिया, मैं सूडान से हूं।
उसने कहा, अच्छा, तुम काफी काली हो, इसे सुनकर मैं खूब हंसी और उससे कहा, हां, मुझे मालूम है।
उसने मुझसे एक सवाल पूछने की परमिशन मांगी, मैंने दे दी।
उसने कहा, तुम्हारा रंग काला है, तुम ब्लीच करा लो, इसके लिए मैं 10 हजार डॉलर दूंगा।
मैंने कहा, तुम ऐसा क्यों करना चाहते हो?
उसने कहा, मैं तुम्हे रंग को देखकर डर गया था, तुम्हे कोई कैसे पसंद करेगा, जॉब इंटरव्यू में तुम्हे कोई अपॉइंट नहीं करेगा।
मैंने कहा, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगी। मुझे फर्क नहीं पड़ता, मुझे खुद से प्यार है, मैं जो हूं बेहतर हूं।
सूडान में बहुत कुछ खोया इसलिए यहां से लगाव भी और गर्व भी
मैं सूडान से जरूर हूं लेकिन हमेशा ऐसे माहौल में पली-बढ़ी जहां अलग-अलग स्किन टोन वाले लोग थे। दक्षिण सूडान में दूसरे ग्रह युद्ध (1983 – 2005) के दौरान घरवालों ने बहुत कुछ खोया।
युद्ध में हुईं 20 लाख मौत में मेरा भाई और बहन भी थी। भाई-बहन की मौत के बाद परिवार टूट गया। लिहाजा, घरवालों को जगह छोड़नी पड़ी। मेरा जन्म इथियोपिया में हुआ। यहां से परिवार
केन्या पहुंचा और शरणार्थियों के कैंप में शरण ली। 14 साल की उम्र में परिवार के साथ अमेरिका आ गई। अलग-अलग देशों में पढ़ाई हुई। मॉडलिंग के लिए मिनेपोलिस चुना और यहीं रहने लगी लेकिन आज भी मुझे सूडान से लगाव और गर्व दोनों है।
मॉडलिंग की शुरुआत में ब्लीचिंग की सलाह मिली
बचपन से लेकर अमेरिका तक मॉडलिंग तक के सफर में मेरे काले रंग पर लोगों ने कमेंट किया, बुलिंग किया और परेशान भी किया। मॉडलिंग करियर की शुरुआत में यह एक बड़ा मुद्दा था।
मेरी बहन जब अमेरिका पहुंची तो उसने स्किन टोन को हल्का करने के लिए ब्लीचिंग का सहारा लिया। मॉडलिंग की शुरुआत में भी मुझे यही सलाह दी गई लेकिन मेरा जवाब था ‘न’। जब आप ब्लीच कराते हैं तो इंसान के तौर पर खुद को खत्म करने लगते हैं।
मैं सोशल मीडिया पर भी उतनी ही एक्टिव हूं जितनी रैंप पर मॉडलिंग करते समय। जिस रंग को लेकर लोग शर्मिंदा होते हैं वहीं मेरे लिए सबसे मजबूत पिलर साबित हुआ है। लेकिन मेरा मकसद ब्लैड मॉडल को चर्चा में लाना नहीं है। मैं इसे ट्रेंड नहीं बनाना चाहती। मैं बस इंडस्ट्री को यह बताना चाहती हूं कि हम यहां काम करने में समर्थ हैं। मैं फील्ड को छोड़कर नहीं जाऊंगी क्योंकि ब्लैक इज बोल्ड, ब्लैक इज़ ब्यूटीफुल। साथ ही इंडस्ट्री को यह भी बताना है कि अमेरिकन मानक अफ्रीकन मूल्यों को मिटा नहीं सकते।