इंसान की सोच या तो सकारात्मक हो सकती है या नकारात्मक। लेकिन जब वो इन दोनों ही अवस्थाओं को पार कर जाता है तो रवीसत्व (Ravish Kumar) को प्राप्त हो जाता है। ये वो अवस्था है जब मनुष्य को सब कुछ झूठ, मिथ्या नज़र आती है। वो अपनी ही रची गई काल्पनिक दुनिया को सच मानता है और उसी में जीता है। वो खुद को अपनी उस दुनिया का स्वामी मानता है। वो चाहता है कि लोग उसकी बातों को मानें। वो चाहता है कि वो लोगों को टीवी देखने से मना कर तो लोग मान लें। वो कहे डर का माहौल है तो लोग मान ले। वो पत्थर को वॉलेट कह दे तो लोग मान ले। वो शाहरुख़ को अनुराग कह दे तो लोग मान लें। वो ओसामा की तस्वीर वाली मूर्ती को रशियन बबुस्का बता दे तो लोग मान लें। वो 75 बीघा का पोस्ट लिखे तो लोग उसे ब्रह्मलेख मान लें। वो चाहता है कि उसकी तरह सब रवीसत्व की अवस्था को प्राप्त हो जाये। लोग सिर्फ उसकी ही बातों को सच माने। और जो न माने वो आईटी सेल का।
सुबह सुबह सोशल मीडिया पर एक तस्वीर और वीडियो वायरल हुई। वो रवीश बाबू के NDTV के न्यूज रूम में बैठे उनके साथी जर्नलिस्ट विष्णु सोम की थी। उनके डेस्क पर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर वाली एक आकृति रखी थी। इसे लेकर NDTV पर निशाना साधे गए। NDTV की खूब छीछालेदर की गई। उसके बाद मैदान में उतरे रवीसत्व को प्राप्त हो चुके रवीश बाबू। उन्होंने 75 बीघा का पोस्ट लिखा और इसे खारिज कर फोटोशॉप बता दिया। आईटी सेल की करतूत बता दी।
लेकिन रायता तो फ़ैल चुका था। रवीश बाबू ने 75 बीघे में धनिया बोने में देर कर दी। क्योंकि उनके बचाव वाले महाकाव्य, महाग्रंथ लिखने से पहले ही खुद विष्णु सोम स्वीकार कर चुके थे कि हाँ वो ओसामा ही था। लेकिन कुतर्की तो ठहरा कुतर्की। उसने सोचा हमेशा की तरह इसे आईटी सेल की करतूत बता कर मामला रफा दफा कर देगा। लेकिन इस बार उसने फैले रायते को समेटने की कोशिश में और लभेर दिया।
जल्द ही रवीश बाबू को अहसास हुआ कि उन्होंने रायते को लभेर दिया है। तो उन्होंने अपने उस 75 बीघे वाले महाकाव्य को एडिट करना शुरू किया और एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि पूरे 5 बार एडिट किया। और उन्होंने तालिबान- अमेरिका समझौते और न जाने क्या क्या लिख कर उस 75 बीघे के पोस्ट को 5 बीघा और बढ़ा दिया और 80 बीघे का कर दिया। मतलब कि अमेरिका और तालिबान समझौता कर रहे हैं तो NDTV का पत्रकार अपने डेस्क पर अपने अब्बा हुज़ूर ओसामा बिन लादेन की तस्वीर/ प्रतिमा क्यों न रखे? लेकिन इलज़ाम अब भी वही आईटी सेल पर। एक चिढ़ी हुई सास अपना सारा गुस्सा अपनी बहु पर निकालती है। यहाँ रवीश कुमार को सास मान लें और आईटी सेल को बहु।
कुतर्क का लेवल देखिये अगर डोनाल्ड ट्रम्प तीन शादी कर सकते हैं तो NDTV का जर्नलिस्ट अपने डेस्क पर प्रेरणा या मिस्टर बजाज या अनुराग (कसौटी ज़िन्दगी की) तस्वीर भी ना रखे?? आपको क्या लगता है कि यूँ ही मिल जाता है मैग्सेसे अवार्ड? इसके लिए रवीसत्व की अवस्था को प्राप्त करना पड़ता है।
दछिछालेदर से साभार