एक कविता रोज में आज हम ले चलते हैं कवि भवेशनाथ की दुनिया में । इनकी दुनिया में समाज का चेहरा है । वर्तमान की पीड़ा है । और भविष्य का भारत है । सोशल मीडिया पर नहीं है, लेकिन समाज को करीब से देखते रहते हैं । फिलहाल दिल्ली में हो रहे हिंसा पर दुखी है और यह उनके उसी व्यथित मन की आवाज़ है ।
चलो खेलते हैं मिलकर हम खून खराबा
आधा वोट तुम्हारा, आधा वोट हमारा
मौसम बदली तो आखिर है कितनी बदली
सूखा खेत तुम्हारा, डूबा खेत हमारा
चलो खेलते हैं मिलकर हम खून खराबा
आधा वोट तुम्हारा, आधा वोट हमारा
कौन यहां बेमतलब सजदा मैं झुकता है
अंधा भक्त तुम्हारा, गूंगा भक्त हमरा
चलो खेलते हैं मिलकर हम खून खराबा
आधा वोट तुम्हारा, आधा वोट हमारा
बिकने को बिक जाती है इमान धर्म भी
लूटा देश हमारा, छूटा देस तुम्हारा
चलो खेलते हैं मिलकर हम खून खराबा
आधा वोट तुम्हारा, आधा वोट हमारा
कवि भवेशनाथ – अपने हृदय के रसातल में जाकर लिखते हैं । इनकी कविताओं में वर्तमान का दर्द रहता है और भविष्य का भारत भी । पेशे से बैंकर है और दिल्ली में रहते हैं ।