नीतीश कुमार के अगुवाई में बिहार एक बार फिर नम्बर वन बन गया है । और यह एक सुखद संयोग है कि विकास के मामले में बिहार एक बार फिर देश भर में आगे है । बिहारियों की आमदनी प्रतिवर्ष बढ़ती ही जा रही है । और यह नीतीश मोदी के गुड गवर्नेंस का नतीजा है ।
बिहार बजट से पूर्व बिहार सरकार की डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने रिपोर्ट जारी किया। वर्ष 2017-18 में जीएसडीपी के तहत वर्तमान मूल्य पर बिहारियों की आमदनी मात्र 42242 रुपये थी। 2018-19 में यह बढ़कर 47541 रुपये हो गई। यानी एक साल में ही बिहारियों की आमदनी में 5399 रुपये की वृद्धि हो गई। वर्ष 2017-18 में जीएसडीपी के तहत वर्तमान मूल्य पर बिहारियों की आमदनी मात्र 42242 रुपये थी। 2018-19 में यह बढ़कर 47541 रुपये हो गई। यानी एक साल में ही बिहारियों की आमदनी में 5399 रुपये की वृद्धि हो गई।
‘आर्थिक सर्वेक्षण’ बिहार में समावेशी विकास प्रक्रिया को दर्शाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बिहार की अर्थव्यवस्था के बारे में नागरिकों और आर्थिक जगत से जुड़े पेशेवरों को जानकारी उपलब्ध कराना है। आशा है कि यह दस्तावेज उनके लिए अत्यंत ही उपयोगी सिद्ध होगा। -नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
जहां काम की तलाश में जाते हैं हमारे लोग उन राज्यों में बिहार से कहीं ज्यादा बेरोजगारी, खेती, वन उद्योग व मछली कारोबार से आधी आबादी को रोजगार
देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में कामकाजी आयु वर्ग की बड़ी आबादी है। गिनती लेबर सरप्लस स्टेट में होती है। काम की तलाश में बिहार से जिन राज्यों को सर्वाधिक पलायन होता है उनमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि प्रमुख हैं। लेकिन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंण्डियन इकॉनामी के आंकड़ों से यह साबित है कि वहां बिहार से अधिक बेरोजगारी है। रही बात रोजगार की तो एनएसओ के आंकड़ों से साफ है कि राज्य के सिर्फ 12% लोग नौकरी करते हैं और यह 18 प्रमुख राज्यों में सबसे कम है। बिहार में कमाई का प्रमुख जरिया स्वरोजगार ही है जिस पर 56% कामकाजी आबादी निर्भर हैं । जो स्वरोजगार करते हैं उनमें भी 33.9% अकेले ही कोई न कोई काम करते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था 6% से तो बिहार की 11% से बढ़ रही, फिर भी राष्ट्रीय औसत की 33% ही हमारी कमाई
राज्य की आर्थिक सेहत बेहतर है। अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पिछले कई वर्षों से डबल डिजिट में लगातार बनी हुई है। देश का आर्थिक विकास जहां 6% के आसपास है वहीं बिहार की वृद्धि दर 10.53% है और यह सिलसिला तीन वर्षों से लगातार कायम है। तेज गति के इस विकास क्रम में सेवा क्षेत्र खासकर परिवहन का बड़ा योगदान है। सर्वाधिक तेज वृद्धि हवाई परिवहन में रिकॉर्ड की गई है। खेती-किसानी, उद्योग जैसे अर्थव्यवस्था के इंजन समझे जाने वाले क्षेत्र का विकास लगभग स्थिर है। वित्त मंत्री सुशील मोदी ने सोमवार को सदन में राज्य का आर्थिक सर्वे पेश किया। कहा कि राज्य के लोगों की आय पिछले साल की तुलना में 2313 रु. बढ़कर 33,629 हो गई है। 2018-19 के स्थिर मूल्य पर देखें तो यह 47,541 रु. होता है।
आज 13वीं बार बजट पेश करेंगे मोदी
सुशील मोदी मंगलवार को 13 वीं बार द्वितीय पाली में विधान मंडल में वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि 2005 में एनडीए सरकार के गठन के बाद लेखानुदान की जगह 31 मार्च से पहले पूरे साल का बजट पारित करने की परम्परा शुरू की गई।
औद्योगिक उत्पादन इकाइयों में सबसे कम 9.3 % लोगों को ही काम मिल रहा है। पुरुषों से अधिक कामकाजी महिलाए कृषि, वन उद्योग और मछली के रोजगार से जुड़ी हैं। 25% महिलाओं ने शिक्षा क्षेत्र में रोजगार पाया है। लोगों में कामकाजी हुनर तलाशने के उद्देश्य से बने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (रूसेटी) से बीते पांच वर्षों में 1,38,104 लोगों ने ट्रेनिंग ली। इनमें 45% पुरुष और 54% महिलाएं थीं। सरकारी आंकड़ा बताता है कि प्रशिक्षण पाए तीन चौथाई लोगों को रोजगार मिल चुका है।
जनसंख्या का संकेत हैं कि अगले 20 वर्षों में कामकाजी आबादी का हिस्सा बढ़कर तकरीबन 60% हो जाएगा। 2011 की जनगणना में यह 43% प्रतिशत था। अर्थव्यवस्था के लिए यह सुखद संकेत है लेकिन चुनौती रोजगार के अवसर सृजित करने की है। विधानसभा में सोमवार को पेश आर्थिक सर्वे बताता है कि आज राज्य की 4 करोड़ से अधिक कामकाजी आबादी के लिए कृषि, वन उद्योग और मछली का कारोबार ही रोजगार का प्रमुख स्रोत है। तकरीबन आधी आबादी महिला हो या पुरुष इसी पर निर्भर है। निर्माण, थोक व खुदरा कारोबार, मेकैनिक जैसे काम से भी लोग रोजी-रोटी जुटा रहे हैं।