वो खुद ही पूरा करते हैं मंजिल आसमानों की, पंरिदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानो की – किसी शायर की ये पंक्ति उत्तर प्रदेश के बरेली के हाई स्कूल की बच्ची साफिया जावेद पर एकदम सटीक बैठती है । पढ़ाई के प्रति जुनून ने बरेली की हाईस्कूल की छात्रा के कमजोर पड़ चुके फेफड़ों को भी काफी मजबूती प्रदान की है। पांच वर्ष से बीमार चल रही साफिया जावेद को हर वक्त ऑक्सीजन के सहारे ही रहना पड़ता है। वह ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे बैठकर परीक्षा दे है। शिक्षा विभाग ने भी उसकी लगन देखकर हर प्रकार की सुविधा दी है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में लोग तमाम तरह के तिकड़म पर रहे हैं। इन्ही लाखों छात्र-छात्राओं के बीच बरेली की साफिया जावेद भी है। वह ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर परीक्षा केंद्र पहुंचती है। अपनी परीक्षा देने के बाद वापस घर का रुख कर लेती है। परीक्षा केंद्र के अध्यापक के साथ ही बच्चे तथा अन्य अभिभावक उसके जज्बे की तारीफ कर रहे हैं। फेफड़ों की बीमारी के चलते छात्रा को डॉक्टर्स ने 24 घंटे ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे रहने की बात कही है। साफिया ने कहा कि वह बीमार जरूर है पर कमजोर नहीं और वह अपनी मंजिल पाकर रहेगी।
साफिया जावेद बरेली के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की प्राइवेट परीक्षा दे रही है। साफिया को बीते पांच वर्ष से बीमारी ने जकड़ रखा है। फेफड़ों की परेशानी के साथ-साथ टीबी की बीमारी भी हो गई है। फेफड़े कमजोर होने के चलते उसका सांस लेना काफी मुश्किल है। डॉक्टरों ने छात्रा को 24 घंटे ऑक्सीजन पर रहने की सलाह दी है और उसी के सहारे वह पिछले एक साल से जीवन जी रही है। साफिया जावेद ने हाईस्कूल का प्राइवेट फॉर्म भरा था और जब परीक्षा देने का समय आया तो उसकी हिम्मत जवाब दे रही थी कि वह ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे परीक्षा कक्ष में बैठकर तीन घंटे परीक्षा कैसे दे पाएगी। ऐसे में घरवालों ने भी उसका साथ दिया। घर के लोगों की हौसलाअफजाई से साफिया में भी परीक्षा देने की हिम्मत आई और उसने अपनी बीमारी को कमजोरी ना बनाते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे ही परीक्षा कक्ष में बैठकर परीक्षा देने की ठान ली।