सोशल मीडिया पर एक किसान अभी चर्चा में है । श्रीनिवास गौड़ा । किसान है । लेकिन तगड़ी बॉडी वाला । खेल मंत्री ने बकायदा ट्वीट कर उसकी सराहना की है । कहा जाता है कि उसने उसैन बोल्ट का रिकार्ड तोड़ दिया है । यह रिकार्ड 100 मीटर के लिये था । लेकिन आज जो हुआ वह उससे भी अलग है । सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि एक और कंबाला धावक ने श्रीनिवास गौड़ा का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है ।
कंबाला रेसर श्रीनिवास गौड़ा द्वारा कथित तौर पर उसैन बोल्ट का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने की चर्चाओं के बाद अब निशांत शेट्टी का नाम भी तेजी से वायरल होने लगा है। कहा जा रहा है कि कंबाला रेसर निशांत ने एक कदम आगे बढ़कर गौड़ा का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक शेट्टी ने 100 मीटर की भैंसा दौड़ में गौड़ा को 0.04 सेकंड के अंतर से पछाड़ दिया है। शेट्टी ने वेनूर में हुए सूर्या-चंद्रा जोडुकर कंबाला में 143 मीटर की दूरी को मात्र 13.68 सेकंड में ही पूरा कर लिया, यानी कि उन्होंने गौड़ा से 0.04 सेकंड से भी तेजी से 100 मीटर की दौड़ पूरी की।
#SrinivasGowda who covered 100 metres in reportedly 9.55 seconds last week, has a competitor #Kambala runner Nishant Shetty has taken over Gowda by completing the same distance reportedly in 9.51 seconds. pic.twitter.com/9Jkl9pT7J8
— utkarsh singh (@utkarshs88) February 18, 2020
बता दें कि बीते दिनों गौड़ा के कंबाला दौड़ का वीडियो वायरल होने के बाद उनकी तुलना विश्व रिकॉर्ड धावक जमैका के उसैन बोल्ट से होने लगी थी और इसके बाद खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने साई (भारतीय खेल संघ) को उनका ट्रायल लेने के लिए बोला था।
हालांकि सोमवार को गौड़ा ने ट्रायल देने से मना कर दिया था और अपने स्थानीय खेल पर ही ध्यान लगाने की बात कही थी। वहीं गौड़ा को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सम्मानित किया था और उनके प्रदर्शन के लिए तीन लाख रुपये की राशि भी दी थी।
क्या होती है कंबाला दौड़
कंबाला रेस या भैंसा दौड़ कर्नाटक का पारंपरिक खेल है। यह खेल कीचड़ वाले इलाके में आयोजित की जाती है। कर्नाटक के तटीय इलाकों मंगलूरू और उडुपी में यह खेल काफी प्रचलित है। यहां के कई गांवों में कंबाला का आयोजन किया जाता है, जिसमें दर्जनों उत्साही युवा अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षित भैंसों के साथ भाग लेते हैं।
जानवरों के संरक्षण करने वालों कार्यकर्ताओं ने कुछ साल पहले कंबाला पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उनका आरोप था कि जॉकी बल प्रयोग कर तेज दौड़ने के लिए भैंसों को मजबूर करता है। इसके बाद कंबाला पर कुछ वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, तब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने एक विशेष कानून पारित कर खले को जारी करवाया था।