प्रशांत किशोर । राजनीति के चाणक्य । आज बहुत दिनों के बाद बिहार में उन्होने अपने मन की बात की । स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसा और कहा कि वो तो मेरे पितातुल्य हैं, मेरे लिए आदरणीय हैं। लेकिन, हमारे बीच कुछ मुद्दों को लेकर वैचारिक मतभेद है। प्रशांत ने कहा कि आज बिहार को किसी का पिछलग्गू नहीं, एक मजबूत नेता की जरूरत है जो अपने फैसले खुद ले सके।
जेडीयू और नीतीश कुमार से अलग हुए प्रशांत किशोर ने मंगलवार को बिहार में अपना राजनीतिक एजेंडा तय कर दिया है। पीके ने भविष्य के बिहार का खाका खींचा है। वह ‘बात बिहार की’ नाम से अभियान शुरू कर रहे हैं, जिसके तहत बिहार की तस्वीर बदलने का लक्ष्य रखा है। बिहार को अग्रणी राज्य बनाने के लिए प्रशांत किशोर अपनी पूरी जिंदगी लगाने की बात कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर बिहार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के साथ-साथ राज्य को अगले दस सालों में टॉपटेन में शामिल करने का टारगेट फिक्स किया है। इसके लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीके युवाओं के कंधों पर सवार होकर सियासी सफर तय करना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने कहा कि बिहार में किसी के पिछलग्गू नहीं, एक मजबूत नेता की जरूरत है जो अपने फैसले खुद ले सके और बिहार के भविष्य को बदल सके।
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘आपके झुकने से भी बिहार का विकास हो रहा है, तो मुझे आपत्ति नहीं है। क्या इस गठबंधन के साथ रहने से बिहार का विकास हो रहा है, सवाल यह है। लेकिन इतने समझौते के बाद भी बिहार में इतनी तरक्की हुई है? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला?’ उन्होंने कहा कि नीतीश बिहार को गरीब राज्य क्यों दिखाना चाहते हैं?
प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 15 साल में बिहार में खूब विकास हुआ है, लेकिन विकास की रफ्तार और आयाम ऐसे नहीं रहे हैं, जिससे बिहार की स्थिति बदली हो। विकास के 20 बड़े मानकों में आज भी बिहार की स्थिति 2005 जैसी है। नीतीश कुमार ने शिक्षा के लिए पोशाक और साइकिल तो बांट दी, लेकिन बेहतर शिक्षा नहीं दे सके।
उन्होंने कहा कि बिहार में 10 सालों में लोगों के घरों में बिजली पहुंची, लेकिन बल्ब-पंखे के अलावा कुछ नहीं इस्तेमाल कर सके। बिहर में सड़क बन गई लेकिन चलाने के लिए लोगों के पास व्हीकल ही नहीं। प्रशांत किशोर ने कहा कि शिक्षा के मामले में देश में बिहार 22वें स्थान पर हैं। इस तरह से प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से भी बिहार 22वें स्थान पर है। बिहार की यह स्थिति 2005 में थी और आज 2020 में भी है, जिसे अब अगले 10 सालों में बिहार को टॉपटेन में ले जाने का लक्ष्य रखा है।
गुजरात से बिहार आएं लोग काम करने यह लक्ष्य
प्रशांत किशोर ने कहा, नीतीश का विचार है कि हम पुरानी पार्टी हैं, ट्विटर का क्या करेंगे? मेरी सोच इससे अलग है। ट्विटर और फेसबुक अकेले गुजरात वालों का नहीं है। गुजरात के लोगों को ट्विटर बिहार के लोगों ने ही सिखाया है। बिहार अब पोस्ट कार्ड वाला नहीं है बल्कि अब यह फेसबुक और ट्वीटर का इस्तेमाल करेगा। प्रशांत ने कहा कि बिहार के लोग ही क्यों घर छोड़कर दूसरे राज्य में काम करने जाएं। सूरत के लोग भी तो यहां पर काम करने आएं। हमारा ऐसा बिहार बनाने का लक्ष्य है।
बिहार को सशक्त बनाने का टारगेट
प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी दूसरे के पिछलग्गू बनकर बिहार का भविष्य को नहीं बदल सकता है। बिहार में किसी के पिछलग्गू की नहीं, एक मजबूत नेता की जरूरत है जो अपने फैसले खुद ले सके और बिहार के भविष्य को बदल सके। मुझे लगता है कि आज लोग ये जानना चाहते हैं कि अगले दस साल में बिहार के लिए क्या किया जाए। महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक के मुकाबले बिहार को खड़ा करने का हमारा टारगेट है ताकि गुजरात के लोग भी बिहार में काम के लिए आएं।
पीके ‘बात बिहार’ कैंपेन के जरिए युवाओं को साधेंगे
प्रशांत ने कहा, ‘मैं बिहार में नया कैंपेन शुरू कर रहा हूं- बात बिहार की, मेरा लक्ष्य सिर्फ बिहार की तस्वीर को बदलना है। उन्होंने कहा कि सभी 8795 पंचायत के करीब दस लाख युवा बिहार बदलाव के कार्यक्रम में शामिल होंगे। बिहार को सशक्त बिहार के निर्माण के लिए निचले पायदान यानी गांव और पंचायत के स्तर से काम शुरू किया जाएगा और अगले दस सालों में बिहार को टॉप टेन में शामिल करने का लक्ष्य है।
पीके ने कहा, ‘मैंने अपनी सियासी यात्रा बिहार से शुरू की है। अब जब तक जीवित हूं बिहार के लिए पूरी तरह समर्पित हूं, मैं कहीं नहीं जाने वाला हूं। मैं आखिरी सांस तक बिहार के लिए लड़ूंगा। मैं ऐसे लोगों को जोड़ना चाहता हूं जो बिहार को अग्रणी राज्यों की दौड़ में शामिल करना चाहते हैं। सशक्त बिहार बनाने के लिए दो चार साल नहीं बल्कि अपनी जिंदगी लगाना चाहता हूं। मैं अक्टूबर में चुनाव जिताने और लड़ाने के लिए बिहार में नहीं बैठा हूं बल्कि खुले तौर पर कह रहा हूं कि बिहार को विकास की दिशा में आगे ले जाने ले लिए यंग टीम बनाना चाहता हूं।’