प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका और नीतीश कुमार का संबंध विशुद्ध राजनीतिक नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं और नीतीश कुमार पहली बार नंवबर 2014 में मिले थे और तब से उन्होंने अपने बेटे की तरह मुझे रखा है। जब मैं दल में था तब भी और नहीं था तब भी उनके और मेरे बीच अच्छे संबंध रहे हैं। कई मायनों में मैं उन्हें पिता तुल्य मानता हूं। उन्होने ऐलान किया की कन्हैया जैसे युवाओं का बिहार की राजनीति में स्वागत है। मैं यहाँ रातों रात नेता बनने नहीं बिहार के युवाओं को नेता बनाने आया हूँ। मेरा एक मात्र उद्देश्य बिहार को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाना है। इसके लिए नीतीश कुमार, सुशिल मोदी या लालूजी का स्वागत है। बीजेपी-JDU से मेरा कोई विरोध नहीं है। मैं अभी चुनाव में नहीं उतरने जा रहा। पीके ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने मुझे निकाला है तो मैं उनके सारे फैसले को हृदय से स्वीकार करता हूं। वो मुझे पार्टी में रखना चाहते हैं अथवा नहीं, ये उनका विशेषाधिकार था और उन्होंने लिया। मैं उनका सम्मान करता हूं।
बताते चले की बीते 29 जनवरी को सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से निष्कासित होने के बाद चुनावी रणनीतिकार पहली बार पटना पहुंचे और मीडिया से बात की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के साथ मेरा कोई राजनीतिक संबंधों का नहीं रहा है। उन्होंने मुझे बेटे की तरह रखा। सीएम नीतीश कुमार ने मुझे निकाला है तो मैं उनके सारे फैसले को हृदय से स्वीकार करता हूं। वे पार्टी में रखना चाहते हैं अथवा नहीं, ये उनका विशेषाधिकार था और उन्होंने लिया। मैं उनका सम्मान करता हूं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार से दो बातों पर खास मतभेद रहा है। सीएम नीतीश जी, गांधी, लोहिया और जेपी की बातों को मानने की बातें करते रहे हैं। जब वे ऐसी बातें करते हैं तो वे गोडसे की विचारधारा के साथ कैसे खड़े हैं। दोनों बात नहीं होनी चाहिए इस बात को लेकर मेरे और सीएम नीतीश कुमार में विचार-विमर्श होते रहे हैं।
दूसरा मतभेद जेडीयू और बीजेपी के साथ संबंधों की पोजिशनिंग को लेकर रही है। पहले भी साथ रहे हैं बीजेपी के साथ, लेकिन आज की स्थिति में पहले से बेहद अंतर है। प्रशांत किशोर को कोई दूसरी पार्टी का नेता कैसे डिप्यूट कर सकता है। बिहार का नेता नीतीश कुमार कोई मैनेजर नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कोई दूसरी पार्टी का नेता सीएम नीतीश कुमार के लिए कैसे ये बात कह सकता है कि वे सीएम नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे।