दिल्ली विधान सभा चुनाव में एक तरह से कांग्रेस ने वाक आउट कर लिया । चुनाव में न तो उनके एक भी शीर्ष नेताओं ने रैली की न ही इस चुनाव को सिरयसली लिया । नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस (Congress) पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। पार्टी के इस बुरे प्रदर्शन पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) का बयान आया है। प्रियंका ने कहा कि उनकी पार्टी को अभी बहुत संघर्ष करना है और वह जरूर करेंगी।
आजमगढ़ के एक दिवसीय दौरे पर आईं प्रियंका गांधी से वाराणसी एयरपोर्ट पर दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के बारे में पूछे जाने पर कहा जनता जो करती है सही करती है। ये हमारे लिए समय संघर्ष करने का है। हमें बहुत संघर्ष करना है और हम करेंगे। प्रियंका का यह बयान दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों पर आया है, जिसमें कांग्रेस लगातार दूसरी बार अपना खाता नहीं खोल सकी।
धड़ाम से नीचे आ गया कांग्रेस का जनधार
दिल्ली चुनावों में AAP और बीजेपी के संघर्ष में कांग्रेस इस बार भी अपना वजूद खो बैठी। 2015 के मुकाबले पार्टी का वोट फीसद इस बार घट कर आधे से भी कम रह गया है। यही नहीं शीला दीक्षित के नेतृत्व में 2019 में कांग्रेस ने जो जनाधार बढ़ाया था, वह भी धड़ाम से नीचे आ गया। यहां तक कि एक भी प्रत्याशी खुद को दूसरे नंबर पर लाने में कामयाब नहीं हो सका।
सिर्फ तीन नेताओं की बची जमानत
सिर्फ गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, समयपुर बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त ही जमानत बचाने में कामयाब रह पाए। आप छोड़कर कांग्रेस में आए आदर्श शास्त्री और अलका लांबा को भी जनता ने पूरी तरह से नकार दिया।
2015 में पार्टी को मिले थे नौ फीसद वोट2015 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी। लेकिन, तब कांग्रेस को नौ फीसद से कुछ अधिक वोट मिले थे। वहीं मई 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट फीसद बढ़कर 22।4 फीसद हो गया था। इससे 70 में से 65 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस आप को पछाड़ कर दूसरे नंबर पर पहुंच गई थी। लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के बाद पार्टी इस वोट फीसद को बढ़ाना तो दूर बरकरार भी न रख सकी। इस चुनाव में पार्टी महज 4 फीसद वोटों पर ही सिमटकर रह गई।
(भाषा इनपुट के साथ)