कल पटना के सबसे प्रतिष्ठित और बिहार के पहले विश्वस्तरीय अस्पताल में जो हुआ वह न केवल चौकाने वाला था, बल्कि मेडिकल इतिहास के लिये एक नई और अजीब सी चुनौती भी थी । हुआ यूँ कि एक छ: माह के बच्चे के पेट से 8.5 माह का भ्रूण निकाला गया ।
पीएमसीएच में बुधवार को बक्सर जिले के रहनेवाले मोइनुद्दीन के साढ़े छह माह के पुत्र इरफान के पेट से चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर साढ़े आठ माह का भ्रूण निकाला है। शिशु विभाग के एचओडी अमरेन्द्र कुमार और 15 डॉक्टरों की टीम ने दो घंटे में ऑपरेशन कर भ्रूण निकाला। भ्रूण का पेट, हाथ और सिर विकसित था, लेकिन धड़कन नहीं थी।
मोईनुद्दीन का परिवार अपने बेटे को लेकर काफी परेशान थे। शिशु के पेट में बराबर दर्द रहता था। पेट फूलता जा रहा था। 20 जनवरी को उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया। सीटी स्कैन व अल्ट्रासाउंड में पेट में ट्यूमर होने का अंदाजा था। ऑपरेशन किया जाने लगा तो बच्चे के पेट में मानव भ्रूण मिला। देर शाम बच्चा होश में आ गया।
5 लाख में ऐसा एक केस
शिशु सर्जन विभाग के एचओडी डॉ.अमरेन्द्र कुमार एवं शिशु रेाग विशेषज्ञ डॉ.निगम प्रकाश नारायण ने कहा कि ऐसे मामले रेयर ऑफ रेयरेस्ट में आते हैं। लगभग पांच लाख केस के बाद इस तरह के केस सामने आता है। कभी-कभी गर्भवती महिला के पेट में जुड़वा बच्चे होने की संभावना होती है। ऐसे में एक शिशु अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता। वह दूसरे शिशु के पेट में कैद हो जाता है।
मेडिकल साइंस के लिये यह ऑपरेशन चुनौती भरा तो था ही साथ ही अजीबोगरीब भी । क्योकि ऐसा 5 लाख में किसी एक को होता है । वैसे भी यह सुखद संयोग ही है कि बच्चा अब स्वस्थ है और होश में आ गया है ।