कोशी शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण के दूसरे सत्र में कोशी क्षेत्र में उद्यमिता और रोजगार पर बात करते हुए बिहार के प्रख्यात सनदी लेखाकार कुणाल किशोर ने कहा कि आज भी हमारे यहाँ चार हज़ार की सरकारी नौकरी वाले को फख्र से देखा जाता है बजाय उनके जो स्वरोजगार कर 400000 रुपए कमा रहे हैं । लोग अपनी बेटी की शादी एक सरकारी चपरासी से कराना पसन्द करते हैं बजाय एक उद्यमी से । और यही सोच बिहार में उद्यमिता को पीछे ले जा रही है । उन्होंने कहा सरकार की ऐसी सैकड़ो योजना चल रही है जो उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए काफी है, लेकिन जागरूकता की वजह से हम इनका लाभ नही ले पाते हैं । हालांकि कुछ प्रगति हुई है लोग मत्स्य पालन आदि के क्षेत्र में आगे आ रहे हैं लेकिन काफी क्षेत्रों में हम पिछड़े हैं । उन्होंने बिहार सरकार की उद्योग प्रोत्साहन नीति को विस्तार से बताते हुए उनकी न केवल सम्पूर्ण जानकारी दी, बल्कि कैसे इनसे फायदा लिया जा सकता है इसकी भी चर्चा की ।
वहीं निफ्ट से पास कर सहरसा के ग्रामीण इलाकों में गारमेंट्स का व्यवसाय शुरू करने वाले युवा उद्यमी सागर वर्मा ने बताया लोगों अपने जीन्स फैक्ट्री की बनने की कहानी, कठनाई और उनसे उबरने की पूरी दास्तान सुनाई । उन्होंने युवा उद्यमियों को मूल मंत्र देते हुए कहा कि, ‘अपने जीवन का कुछ दिन ऐसे गुज़ारों जैसा बहुत सारे।लोग नही कर पाते हैं, तो आप अपने बाँकि का जीवन वैसा गुजार सकते हैं जैसा कि बाँकि के लोग सोच भी नही सकते ।
वही सत्र को सम्बोधित करते युवा उद्यमी आशीष सोना ने कोशी में रोजगार के अवसर और उनके क्रियान्वयन पर चर्चा की ।
सत्र का संचालन श्रीमंत जैनेंद्र ने किया । सम्मानित अतिथियों को पौधा और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।