ढाका । बंग्लादेश की राजधानी । जहाँ के बारे में प्रचलित है कि ये पाकिस्तान से भी ज्यादा कट्टर है । लोगों को ऐसा दिखाया जा रहा है कि ये था तो अतत: पुर्वी पाकिस्तान ही । तो इनका जीन भी वैसा ही होगा न । लेकिन इस बार सरस्वती पूजा के दिन वो हुआ जिसको किसी की आशा नही थी । इस बार ढ़ाका ने सरस्वती पूजा के लिये मतदान की तारीख आगे बढ़ा दी है । रविश कुमार ने इसे अपने फेसबुक पेज पर साझा करते हुए जो लिखा है उसे बिना किसी कांट-छांट के वैसे ही यहॉं चस्पा कर रहे हैं । साथ ही कुछ तस्वीर है जो ढ़ाका युनिवर्सिटी की है । यहाँ सरस्वती पूजा का उल्लास आप तस्वीरों से ही समझ जाएंगे ।
जो नहीं जानते हैं उन्हीं के लिए नहीं होता है। वहाँ इस वक्त ढाका नगर निकायों का चुनाव चल रहा है। मतदान की तारीख़ 30 जनवरी घोषित थी लेकिन सरस्वती पूजा पड़ गई। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने मतदान की तारीख़ आगे बढ़ा कर 1 फ़रवरी कर दी गई है।
अब जो आप बहुत सारी तस्वीरें देखने जा रहे हैं वो सभी ढाका यूनिवर्सिटी की हैं। वहाँ के जगन्नाथ हॉल में पूजा मनाई जाती है। यह एक मैदान है जहां पर सारे डिपार्टमेंट के अलग अलग पूजा पंडाल होते हैं। परंपरा है कि हर डिपार्टमेंट अपनी पूजा मनाता है। इसलिए सरस्वती की प्रतिमा के साथ फ़ार्मेसी, एकनॉमिक्स, पोलिटिकल साइंस, जूऑल्जी, लिखा है। सरस्वती पूजा के लिए वहाँ के शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टी होती है।
शोमा इस्लाम पत्रकार हैं। उनसे पूछा कि क्या आपके यहाँ सरस्वती पूजा मनाई जाती है और क्या आप तस्वीरें भेज सकती हैं? शोमा ने चंद मिनटों में बीस पचीस तस्वीरें भेज दीं। शोमा कहती हैं कि शहर में निगम चुनावों के लिए माहौल पूरा चुनावी है। पर कोई चाहता नहीं कि इसका असर पूजा पर पड़े तो चुनाव की तारीख़ दो दिन आगे बढ़ गई।
मैंने 19 तस्वीरें डाली हैं। ताकि आप सभी वहाँ सरस्वती की प्रतिमा में कलात्मक विविधता का भी आनंद ले सकें। अगर मीडिया इन सब बातों को बताए तो समाज में विश्वास बढ़ेगा। धारणाएँ टूटती हैं जो बुरी ताक़ते हैं, यहाँ भी और वहाँ भी उन्हें भी समझ आएगा कि सौहार्द कितना ज़रूरी है। पहली तस्वीर पीस एंड कंफ्लिक्ट स्टडी की है। शांति और टकराव अध्ययन केंद्र की भी सरस्वती पूजा है। सबको शांति मिले। सबको विवेक मिले।