सीएए, एनपीआर, एनआरसी के खिलाफ डट कर खडे़ जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बीच TweeterWar थम नहीं रहा है। मोदी ने प्रशांत को नीतीश की मुसीबत बताया है तो प्रशांत ने मोदी का एक पुराना वीडियो Tweet कर तंज कसा है। प्रशांत ने लिखा है, कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने में मोदी का जवाब नहीं है।
दो दिन पहले सुशील मोदी ने अपने Tweet में इशारों-इशारों में जदयू के पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को निशाना बनाया था। मोदी ने लिखा था, ‘ नीतीश कुमार जी के साथ यह विडम्बना अक्सर होती है कि अपनी उदारतावश वे जिनको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाते हैं, वे ही उनके लिए मुसीबत बनने लगते हैं।
उन्होंने किसी को अपनी कुर्सी दी, कितनों को राज्यसभा का सदस्य बनवाया, किसी को गैरराजनीतिक गलियों से उठाकर संगठन में ऊँचा ओहदा दे…. लेकिन इसमें से कुछ लोगों ने थैंकलेस होने में गुरेज नहीं किया!
मोदी के इस Tweet के जवाब में प्रशांत ने लिखा है,’ लोगों को character certificate देने में @SushilModi जी का कोई जोड़ नहीं है। देखिए पहले बोल कर बता रहे थे और अब DY CM बना दिए गए तो लिख कर दे रहे हैं. इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल क्लीयर है!!
CAA, NPR, NRC का विरोध कर रहे प्रशांत पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने पिछले महीने तंज कसा था। हरदीप ने कहा था, कौन है प्रशांत किशोर? उसके बाद सुशील मोदी ने भी मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने लिखा था,’ भाजपा और जद-यू के बीच चंद वर्षों को छोड़ कर आपसी विश्वास का रिश्ता दो दशक पुराना और जांचा-परखा है।
लोगों को character certificate देने में @SushilModi जी का कोई जोड़ नहीं है।
देखिए पहले बोल कर बता रहे थे और अब DY CM बना दिए गए तो लिख कर दे रहे हैं?? इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल क्लीयर है!! https://t.co/5WwkNXe5IG pic.twitter.com/q9LjnipQMi
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 25, 2020
2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है। लेकिन जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुँचाने में लगे हैं।
एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद में करता है।अगर नागरिकता कानून का विरोध करने और एनपीआर पर भ्रम फैलाने से देश कमजोर होता है, भारत विरोधी मजबूत होते हैं, विदेशों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल होती है, विदेशी निवेशक हाथ खींचते हैं और देश राजनीतिक अस्थिरता की तरफ जाता है, तो ऐसी नकारात्मकता से किसका फायदा होगा? इसमें जिनकी कंपनी को मोटी कमाई दिखती है, वे राजनीतिक चोला ओढ़कर अपना धंधा चमकाने में लगे हैं।जनता ऐसे लोगों को पहचानती है।