जानी-मानी अंग्रेजी पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने अपने ताजा अंक में ‘असहिष्णु भारत’ (इन्टॉलरेंट इंडिया) नाम से कवर पेज छापा है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने गुरुवार (23 जनवरी) को कवर पेज ट्वीट करते हुए लिखा, “कैसे भारत के प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं।” कवर पेज पर कंटीली तारों के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का चुनाव चिन्ह ‘कमल का फूल’ नजर आ रहा है। मैगजीन ने अपने लेख में मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कई हमले किए हैं।
मैगजीन ने अपने लेख में कहा है कि ऐसा लग रहा है कि पीएम मोदी भारत को एक सहिष्णु और बहु धार्मिक देश की जगह उग्र हिंदुत्व राज्य की तरफ ले जा रहे हैं। लेख में लिखा है कि भारत के 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं क्योंकि प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र के निर्माण में जुटे हैं। 80 के दशक में राम मंदिर के लिए आंदोलन के साथ भाजपा की शुरूआत पर चर्चा करते हुए लेख में तर्क दिया गया है कि संभावित तौर पर नरेंद्र मोदी और भाजपा को धर्म और राष्ट्रीय पहचान के आधार पर कथित विभाजन से फायदा पहुंचा है।
How India’s prime minister and his party are endangering the world’s biggest democracy. Our cover this week https://t.co/hEpK93Al11 pic.twitter.com/4GsdtTGnKe
— The Economist (@TheEconomist) January 23, 2020
मैगजीन ने CAA के बाद लिखे अपने रिव्यू में कहा है कि सरकार की नीतियों से भले ही नरेंद्र मोदी चुनाव जीत जाएं लेकिन देश यह देश के लिए ‘राजनीतिक जहर’ साबित होंगी। मैगजीन ने चेताया है कि CAA लागू होने से देश में खूनी संघर्ष हो सकता है। लेख में लिखा गया है, ‘संविधान के पंथनिरपेक्ष मूल्यों को कमजोर करने वाला पीएम मोदी का ताजा कदम भारतीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है और इसका असर दशकों तक रह सकता है।’
लेख में आगे लिखा गया है कि धर्म और राष्ट्रीय पहचान पर विभेद कर भाजपा को अपना समर्थन बढ़ाने में सफलता मिली है और वह कमजोर अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकाने में भी सफल रही है। वहीं, दूसरी ओर कई भाजपा नेताओं ने ट्वीट कर मैगजीन के कवर पेज की निंदा की है।